आज हम आपको एक ऐसे शख्स की कहानी बता रहे हैं जिसके सपने तो बड़े थे, लेकिन उसके पास पैसे नहीं थे. ऐसे में उसे अपने सपनों को हकीकत में बदलने के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ा. लेकिन उसने हार नहीं मानी. हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के रहने वाले आमिर कुतुब की, जिनका जन्म मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ.
आमिर के पिता अपने बेटे को बड़ा अधिकारी बनाना चाहते थे. लेकिन आमिर की पढ़ाई में बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं थी. 12वीं पास करने के बाद आमिर ने बीटेक में एडमिशन लिया. लेकिन उनकी पढ़ाई में दिलचस्पी ना होने की वजह से एक बार टीचर ने भी उनसे कह दिया कि तुम कुछ नहीं कर पाओगे.
बीटेक करने के बाद आमिर को नौकरी मिली, जिसे उन्होंने छोड़ दिया. इसके कुछ समय बाद उन्हें दूसरी नौकरी मिली, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया. लेकिन नौकरी में भी उनका मन नहीं लगा. पर परिवार के दबाव की वजह से उन्हें नौकरी करनी पड़ी. बाद में उन्होंने यह नौकरी छोड़ दी और फ्रीलांसिंग का काम शुरू कर दिया. अब उनके ग्राफिक डिजाइनिंग के काम में कई क्लाइंट ऑस्ट्रेलिया से भी जुड़े हुए थे.
आमिर ने बताया कि उनके क्लाइंट ने उन्हें बताया कि वे इस काम को ऑस्ट्रेलिया में भी बड़े पैमाने पर कर सकते हैं. तो आमिर ने ऑस्ट्रेलिया जाने के बारे में जानकारी जुटाई. उन्हें पता चला कि वह स्टूडेंट वीजा से ऑस्ट्रेलिया जा सकते हैं. तब उन्होंने एमबीए में दाखिला लिया और ऑस्ट्रेलिया गए. लेकिन ऑस्ट्रेलिया में रहना और खर्चे उठाना बहुत मुश्किल था.
ऑस्ट्रेलिया में उन्हें एयरपोर्ट पर सफाई का काम मिल गया. ऐसे में उनको बिजनेस के लिए समय नहीं मिलता था. बाद में उन्होंने अखबार बांटने का काम शुरू किया. वह सुबह 3 बजे से 7 बजे तक अखबार बांटते. इसके बाद उनके पास बिजनेस से जुड़े काम करने के लिए पूरा दिन होता था.
काफी लंबी लड़ाई के बाद उन्हें हर महीने $5000 की बचत होने लगी. धीरे-धीरे उनको क्लाइंट मिलते गए और उनका व्यापार दिन दुगनी रात चौगुनी तरक्की करने लगा. आमिर की कंपनी का सालाना टर्नओवर 10 करोड़ के पार है. उनकी कंपनी में 100 स्थाई और 300 अस्थाई कर्मचारी हैं.
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