जब भी कोई नया कारोबार शुरू करना होता है तो धैर्य, संघर्ष और आत्मविश्वास के साथ सही मार्गदर्शन भी चाहिए होता है. जब तक मेहनत सही दिशा में ना की जाए, सफलता नहीं मिलती. बता दें कि सिरमौर की उप तहसील नारग के गांव थलेडी की बेड के नरेंद्र सिंह पवार ने 1993 में डॉ वाईएस परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी में पहली बार कीवी का पौधा देखा था. उन्होंने तभी अपने मन में यह सोच लिया था कि वह भी कीवी का पौधा लगाएंगे.
यही उनके जीवन का टर्निंग प्वाइंट रहा. नरेंद्र ने फिर इस पौधे के बारे में जानकारी जुटाई और विश्व विद्यालय में कार्यरत डॉ धर्मपाल से बारीकियां सीखी. इसके बाद उन्होंने 170 कीवी के पौधे अपने बगीचे में लगा दिए. कीवी की पैदावार 4,000 से 6,000 फीट ऊंचाई वाले स्थानों पर होती है.
भारत में हेवर्ड प्रजाति की कीवी का उत्पादन ज्यादा होता है. कीवी एक ऐसा फल है जिसका इस्तेमाल शरीर में खून की कमी पूरी करने, प्लेटलेट्स की मात्रा बढ़ाने, डेंगू बीमारी, ह्रदय रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद होती है. नरेंद्र ने 2019 में बागवानी विकास परियोजना के तहत 4 लाख रुपये का लोन भी ले लिया. उन्हें 50% अनुदान के रूप में 2 लाख रुपये की सब्सिडी मिली.
2019 में नरेंद्र ने कीवी के 170 और पौधे रौपे. अब 340 पौधे फल दे रहे हैं जिससे भारी मात्रा में कीवी का उत्पादन हो रहा है. पिछले साल उन्होंने 130 क्विंटल कीवी का उत्पादन किया था जिसे उन्होंने दिल्ली की मंडी में 140 से ₹170 प्रति किलो के हिसाब से बेचा था. उनकी पिछले साल 15 लाख रुपए की कमाई हुई थी.
Leave a Reply