जानिए मेजर ध्यानचंद को क्यों कहा जाता है हॉकी का जादूगर

मोदी सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए सालों से उठ रही मांग पर मुहर लगा दी. राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलकर अब इसे ध्यान चंद खेल रत्न अवॉर्ड नाम दे दिया गया है. मेजर ध्यानचंद को हॉकी के जादूगर के रूप में जाना जाता है. उनके जैसा शायद ही कोई दूसरा खिलाड़ी भारत में पैदा हो. मेजर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 को इलाहाबाद में हुआ था. भारत में हर साल 29 अगस्त को खेल दिवस के रूप में भी मनाया जाता है.

मेजर ध्यानचंद केवल 16 साल की उम्र में भारतीय सेना में भर्ती हो गए थे और उन्होंने हॉकी स्टिक पकड़ ली थी. भारत ने एम्सडरडम ओलिंपिक-1928 में भाग लिया था और गोल्ड मेडल अपने नाम किया था. भारतीय हॉकी टीम की जीत में मेजर ध्यानचंद का बड़ा योगदान रहा था, जिन्होंने 14 गोल किए थे. इसके बाद 1932 और 1936 के ओलंपिक खेलों में भारत की हॉकी टीम ने गोल्ड मेडल अपने नाम किया.

1932 के ओलंपिक में भी मेजर ध्यानचंद ने 12 गोल किए थे. जबकि 1936 में हुए में हुए ओलंपिक खेलों में उन्होंने 11 गोल किए थे और वह उस समय टीम के कप्तान भी थे. मेजर ध्यानचंद का गेंद पर नियंत्रण बहुत ही जबरदस्त था. इसी वजह से उन्हें हॉकी का जादूगर कहा जाने लगा. जब वह गेंद को एक बार अपनी हॉकी से पकड़ लेते थे तो उनसे गेंद छीनना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन था.

बता दें कि मेजर ध्यानचंद का निधन 3 दिसंबर 1979 को हुआ था. मेजर ध्यानचंद को हिटलर ने जर्मनी सेना में सर्वोच्च पद देने की पेशकश की थी. लेकिन उन्होंने हिटलर का ऑफर ठुकराते हुए कहा था- मुझे मेरा देश भारत सबसे अच्छा लगता है, मुझे और कुछ नहीं चाहिए.

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