दूसरों के खेतों में काम कर माता-पिता ने बेटे को पढ़ाया, अब बेटा बना ISRO में वैज्ञानिक

आज हम आपको एक छोटे से गांव के रहने वाले उस बच्चे की कहानी बता रहे हैं जो इसरो में एक सीनियर वैज्ञानिक के पद पर पहुंच चुका है. यह कहानी है महाराष्ट्र के शोलापुर जिले में पंढरपुर तहसील के गांव सरपोली के रहने वाले सोमनाथ माली की, जिकी स्कूली पढ़ाई गांव में हुई. उनके परिवार की आर्थिक स्थिति भी बहुत खराब थी. उनके माता-पिता दूसरों के खेतों में मजदूरी करते थे. इससे ही घर का खर्चा चलता था.

हालांकि सोमनाथ को पढ़ाने के लिए उनके माता-पिता की आर्थिक स्थिति बहुत ज्यादा अच्छी नहीं थी. सोमनाथ ने आईआईटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. सोमनाथ के माता-पिता ने ही नहीं उनके भाई भी दूसरों के खेतों में काम करते थे, ताकि उनका भाई पढ़ सके. 2019 में सोमनाथ ने एमटेक की डिग्री हासिल की तो उन्होंने इसरो में आवेदन किया और उनको सीनियर वैज्ञानिक के रूप में चुन लिया गया.

बचपन से ही सोमनाथ पढ़ाई में बहुत तेज थे. दसवीं के बाद उन्हें पढ़ने के लिए पंढरपुर के स्कूल जाना पड़ा. आगे की पढ़ाई के लिए सोमनाथ ने पंढरपुर के केबीपी कॉलेज में दाखिला लिया और गेट का एग्जाम दिया ,जिसमें उन्होंने 916वीं रैंक हासिल की. उनका चयन आईआईटी दिल्ली में मैकेनिकल डिजाइनर के रूप में हो गया.

इसी दौरान उन्हें प्लेन के इंजन को डिजाइन करने का मौका मिला. इस प्रोजेक्ट पर उन्होंने बहुत ज्यादा मेहनत की, जिसके बाद उनका चयन इसरो में सीनियर वैज्ञानिक के रूप में हो गया. हालांकि जब सोमनाथ का चयन हुआ था तो महाराष्ट्र में कोरोना का प्रकोप चल रहा था. इस वजह से वह गांव नहीं आ पा रहे थे. उन्हें 10 दिन खुद को क्वारंटाइन करना पड़ा. 10 दिन बाद अपने माता-पिता के पास पहुंच कर उन्होंने यह खुशखबरी अपने माता-पिता को सुनाई.

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