यह कहानी है उस परिश्रमी महिला की, जिसके पास ना तो बड़ी डिग्री थी और ना ही कोई साधन था. फिर भी आज वह लाखों का बिजनेस कर रही है. हम बात कर रहे हैं लखनऊ की रहने वाली बिटाना देवी की, जिनका जन्म रायबरेली के पास सेहगो गाँव .में हुआ समाज की रूढ़िवादी सोच की वजह से बिटाना की पढ़ाई नहीं हुई. किसी तरह से उन्होंने पांचवी तक पढ़ाई कर ली. इसके बाद उन्हें स्कूल जाने नहीं दिया गया.
15 साल की उम्र में बिटाना की शादी लखनऊ के निगोहा के रहने वाले हरिनाम से हो गई. बिटाना ने 28 साल पहले दो गायों के साथ दूध का कारोबार शुरू किया था. 1982 में बिटाना का पहला बेटा पैदा हुआ, जिसको दूध पिलाने के लिए उनके पिता ने उन्हें एक बछड़ा खरीद कर दिया.
1990 में उनके पति को किसी ने गाय के साथ भैंस खरीद कर डेयरी उद्योग शुरू करने की सलाह दी. मेरे पति ने मुझसे डेयरी उद्योग शुरू करने को कहा, तो मैं भी तैयार हो गई. फिर हमने धीरे-धीरे गाय और भैंस खरीदना शुरू कर दिया. बिटाना के पति हरिनाम सरकारी टीचर है.
बिटाना गाय-भैंसों की खुद ही देखभाल करती है. उनके पास 40 दूध देने वाले पशु हैं. हर रोज वह पराग डेयरी को 188 लीटर दूध की सप्लाई करती हैं. उनका लक्ष्य 100 गाय और भैंस खरीदने का है. उनके काम के लिए उन्हें कई बार सरकार की तरफ से सम्मानित भी किया जा चुका है. वह समाज की दूसरी महिलाओं के लिए मिसाल है.
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