यूपीएससी की परीक्षा में पास होना कोई बच्चों का खेल नहीं है. इस परीक्षा को पास करने के बाद जो सम्मान मिलता है, उसकी बात ही अलग है. आज हम आपको आईआरएस अधिकारी शेखर कुमार के बारे में बता रहे हैं, जिनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी. उनकी शुरुआती पढ़ाई हिंदी मीडियम स्कूल से हुई. उनके माता-पिता भी पढ़े-लिखे नहीं थे. लेकिन शेखर शुरुआत से ही बहुत होशियार थे.
उन्होंने दिल्ली से ग्रेजुएशन की. इस दौरान उन्होंने बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर अपना खर्चा चलाया. शेखर के पिता हमेशा उनसे कहते थे कि देश में केवल 3 लोगों की होती है- पीएम, सीएम और डीएम की. शेखर अपने पिता की इसी बात से प्रभावित हो गए. शेखर ने UPSC परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी.
शेखर जब यूपीएससी परीक्षा की तैयारी कर रहे थे, इसी दौरान उनके माता-पिता का एक्सीडेंट हो गया. उनके पिता कोमा में चले गए और उनकी मां का आधा शरीर पैरालाइज्ड हो गया. ऐसे में उन्हें अपनी तैयारी बीच में रोकनी पड़ी और माता-पिता की देखभाल करनी पड़ी. काफी समय तक उन्होंने अपने माता-पिता की देखभाल की. जब उनके माता-पिता की हालत सुधर गई तो उन्होंने फिर से तैयारी शुरू कर दी और परीक्षा देने पहुंचे.
पहली बार यूपीएससी परीक्षा में वह असफल हो गए. दूसरी बार मुख्य परीक्षा के पेपर में वह 10 मिनट देरी से पहुंचे थे, जिस वजह से उन्हें परीक्षा से वंचित कर दिया गया. इसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी. 2010 में शेखर ने यूपीएससी परीक्षा में 562वीं रैंक हासिल की. आज वह आईआरएस कस्टम अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं.
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