कोरोना महामारी की वजह से ना जाने कितने घर तबाह हो गए हैं. लॉकडाउन के दौरान ना जाने कितने लोगों की नौकरियां छूट गई और बच्चों की पढ़ाई पर भी बुरा असर पड़ा. लोग दो वक्त की रोटी का इंतजाम भी मुश्किल से कर पा रहे हैं. ऐसे ही लोगों में भुवनेश्वर की स्मृति रेखा भी हैं जिनकी कोरोना काल में नौकरी चली गई. वह कई सालों से प्ले और नर्सरी स्कूल में बच्चों को पढ़ा रही थी.
लेकिन कोरोना महामारी की वजह से लॉकडाउन लगा तो स्कूल बंद हो गया और उनकी नौकरी चली गई. ऐसे में अब उनकी आर्थिक स्थिति खराब होने लगी, जिस वजह से उन्हें मजबूरी में कचरा उठाने वाली गाड़ी चलानी पड़ रही है. स्मृति के परिवार में पति, दो बेटियां और अन्य सदस्य भी हैं. उनके पति को कोरोना महामारी की वजह से कुछ खास कमाई नहीं हो रही थी.
ऐसे में सारी जिम्मेदारी स्मृति रेखा के ऊपर आ गई. उन्होंने बड़ी हिम्मत से काम लिया और कचरा उठाने वाली गाड़ी चलाने का फैसला किया. उनको जो पैसा मिलता है उससे उनके घर का गुजारा हो जाता है. वह मुश्किल की घड़ी में अपने परिवार का सहारा बनी हुई है.हर कोई उनकी हिम्मत की तारीफ कर रहा है.
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