आज भी हमारे समाज में महिलाओं को कमजोर समझा जाता है और उन्हें घर से बाहर निकलने की इजाजत नहीं मिलती. लेकिन महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले की रहने वाली वसीमा शेख ने तमाम परेशानियों को झेलते हुए महाराष्ट्र पब्लिक सर्विस कमीशन में तीसरा स्थान हासिल किया है और समाज की अन्य महिलाओं के लिए मिसाल कायम की है.
वसीमा शेख की मां घर-घर जाकर चूड़ियां बेचती हैं और उनके भाई रिक्शा चलाते थे. वसीमा की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी. वसीमा के भाई ने ग्रेजुएशन करने के बाद छोटी कंपनी में नौकरी करना शुरू कर दिया और अपनी बहन की पढ़ाई का खर्च उठाने लगे.
वसीमा पढ़ाई में बचपन से ही तेज थीं. 18 साल की उम्र में उनकी शादी शेख हैदर से हो गई, जो महाराष्ट्र पब्लिक सर्विस कमीशन की तैयारी करते थे. ऐसे में वसीमा को भी पढ़ाई-लिखाई में मदद मिलती रही. वसीमा आगे की पढ़ाई के लिए पुणे चली गई. उन्होंने 2018 में महाराष्ट्र पब्लिक सर्विस कमीशन का एग्जाम पास किया और नौकरी करने लगी.
वसीमा ने आगे भी अपनी कोशिश जारी रखी. 2020 में उन्होंने महाराष्ट्र पब्लिक सर्विस कमीशन एग्जाम में महिलाओं की श्रेणी में तीसरा स्थान हासिल किया. अब वह डिप्टी कलक्टर के रूप में अपनी जिंदगी की नई शुरुआत करेंगी.
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