दूसरों के घर में झाड़ू-पोछा कर मां ने उठाया बेटी की पढ़ाई का खर्च, बेटी ने डॉक्टर बन किया नाम रोशन

आज हम आपको डॉक्टर अनीता की कहानी बता रहे हैं, जिन्होंने कड़ी मेहनत की और मुश्किलों को पार कर यह मुकाम हासिल किया. अनीता अपनी सफलता का श्रेय अपनी मां और भाई को देती है. अनीता की मां सुमित्रा के पति मजदूरी करते थे. लेकिन 14 साल पहले सुमित्रा के पति की मौत हो गई, जिसके बाद उनके ऊपर बच्चों और घर की जिम्मेदारियां आ गई.

अनीता भाई-बहनों में सबसे बड़ी थी. ऐसे में उनके ऊपर भी बोझ बढ़ गया. अनीता डॉक्टर बनना चाहती थी. लेकिन उनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी. अनीता में दसवीं में 71 फीसदी अंक प्राप्त किए और 12वीं में 75 फीसदी अंक मिले.

इसके बाद उन्होंने 1 साल कानपुर में CPMT की तैयारी की ओर 682 रैंक हासिल की, जिसके बाद उन्हें इटावा के सैफई मेडिकल कॉलेज में एडमिशन मिल गया, जहां उन्होंने एमबीबीएस की पढ़ाई की. बता दें कि अनीता की मां सुमित्रा सब्जी बेचने का काम करती थीं.

हालांकि एक समय वह दूसरों के घरों में झाड़ू-पोछा लगाया करती थी. बस स्टैंड पर खड़े होकर पानी बेचा करती थी. जैसे-जैसे खर्चा बढ़ता गया तो उन्होंने सब्जी की दुकान लगाना शुरू कर दिया, जिससे वह हर रोज 300 से ₹500 कमा लेती थीं. अनीता ने भी अपनी पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए इमली और कैथा बेचकर अपनी फीस के पैसे जुटाए. अनीता की छोटी बहन भी सीपीएमटी की तैयारी कर रही हैं.

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