पंचर की दुकान चलाने वाले के बेटे ने IAS बनकर बढ़ई पिता की शान

आज हम आपको IAS वरुण बरनवाल की कहानी बता रहे हैं जिनकी जिंदगी काफी संघर्षों से भरी रही. लेकिन उन्होंने सभी मुश्किलों का सामना करते हुए यूपीएससी की परीक्षा में 32वीं रैंक हासिल की. वरुण का बचपन गरीबी से बीता. उनके पिता पंचर की दुकान चलाते थे जिससे उनके घर का गुजारा होता था. वरुण पढ़ाई में तेज थे. उनके पिता भी उन्हें प्रोत्साहित करते थे.

वरुण की बोर्ड परीक्षा के 4 दिन बाद ही उनके पिता को हार्ट अटैक आ गया जिस वजह से उनकी मौत हो गई. ऐसे में उनके ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी. इस वजह से सारी जिम्मेदारियां उनके ऊपर आ गईं. वरुण पिता की पंचर की दुकान चलाने लगे. उनकी पढ़ाई पर ब्रेक लग गया. लगभग 2 महीने बाद जब 10वीं के बोर्ड का रिजल्ट आया तो उन्होंने पूरे शहर में दूसरा स्थान हासिल किया.

जब लोगों को पता चला कि शहर में दूसरा स्थान पाने वाला लड़का पंचर की दुकान चलाता है तो लोगों ने उनको प्रोत्साहन तो दिया, लेकिन कोई मदद नहीं की. हालांकि वरुण के पिता के डॉक्टर मित्र उनकी मदद को आगे आए और उन्होंने पंचर की दुकान खुद देखने की जिम्मेदारी संभाल ली और वरुण को आगे बढ़ाने का फैसला किया. वरुण की मां ने भी अपने बेटे की पूरी मदद की.

12वीं में भी वरुण ने अच्छे अंक हासिल किए और फिर वह एमआईटी कॉलेज पुणे में चले गए, जहां पहले सेमेस्टर में उन्होंने टॉप किया और उन्हें स्कॉलरशिप मिली. कॉलेज के दौरान दोस्तों से भी उन्हें काफी मदद मिली. कैंपस प्लेसमेंट के दौरान वरुण को अच्छी कंपनी का ऑफर मिला. लेकिन वह आईएएस अधिकारी बनना चाहते थे. इसी वजह से उन्होंने कोचिंग पढ़ा कर सिविल सर्विस की तैयारी शुरू कर दी. उन्होंने यूपीएससी परीक्षा में 32वीं रैंक हासिल माता और पिता का नाम रोशन किया.

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