मेहनत और संघर्ष किया जाए तो मुश्किल से मुश्किल मंजिल को भी हासिल किया जा सकता है. ऐसी ही एक कहानी है आईएएस अंसार अहमद शेख की, जिनके पिता रिक्शा ड्राइवर, मां मजदूर और खुद भी उन्होंने वेटर की नौकरी की. लेकिन वह अपने सपने को नहीं भूले. अंसार अहमद महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव से आते हैं.
अंसार अहमद बचपन से ही पढ़ाई में बहुत होशियार थे. हालांकि उनके पिता की कमाई से घर का खर्च मुश्किल से चलता था. दो वक्त की रोटी भी बच्चों को मुश्किल से नसीब होती थी. कई बार तो अंसार अहमद को भूखे पेट भी रहना पड़ता था. अंसार के पिता चाहते थे कि वह पढ़ाई छोड़ कर काम करना शुरू कर दें. लेकिन टीचर ने उन्हें समझाया तो वह समझ गए.
अंसार दसवीं में जिन शिक्षक से पढ़ते थे, उन्हें MPPCS के लिए चुन लिया गया. इसके बाद ही अंसार ने यूपीएससी परीक्षा में बैठने का मन बना लिया. जब भी कॉलेज की छुट्टी होती थी तो वह काम करके पैसे कमाते थे. उन्होंने पैसों के लिए वेटर की नौकरी भी की. होटल में उन्होंने बर्तन धोने से लेकर पर झाड़ू पोछा मारने तक का भी काम किया.
जब उनके पैसे खत्म हो जाते थे तो वह भूखे पेट ही सो जाते थे. लेकिन फिर भी उन्होंने कड़ा संघर्ष किया और हार नहीं मानी. अंसार ने 2015 में यूपीएससी परीक्षा दी और पहले ही प्रयास में उन्हें आईएएस अधिकारी के रूप में चुन लिया गया. जब उनका रिजल्ट निकला था तो उनके पास अपने दोस्तों को पार्टी देने के भी पैसे नहीं थे. उस समय उनके एक दोस्त ने उनकी मदद की थी. आज अंसार एक सफल अधिकारी हैं और समाज सेवा कर रहे हैं.
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