कई बार लोग अपने सपने पूरा करने से चूक जाते हैं, क्योंकि उनके पास साधन नहीं होते. लेकिन कुछ लोग हर मुश्किल का सामना कर अपनी मंजिल तक पहुंच जाते हैं. ऐसी कहानी है उत्तर प्रदेश के छोटे से गांव के रहने वाले नूरुल हसन की, जिनका जन्म एक बेहद गरीब परिवार में हुआ. नूरुल हसन ने 2014 में सिविल सेवा परीक्षा पास की और वह आईपीएस अधिकारी बन गए. नूरुल की सफलता के पीछे उनके पिता में भी बहुत त्याग दिए.
नूरुल आईपीएस बनने से पहले BARC में वैज्ञानिक के रूप में भी काम किया. नूरुल पीलीभीत के हरायपुर गांव के रहने वाले हैं. नूरुल के पिता चतुर्थवर्गीय कर्मचारी का काम करते रहे. उनकी मां भी ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं थी. गरीबी की वजह से उनकी शुरुआती पढ़ाई सरकारी स्कूल से हुई. 12वीं पास करने के बाद उन्हें यह समझ नहीं आ रहा था कि उन्हें क्या करना है. तो दोस्तों की राय पर उन्होंने बीटेक करने की सोची. लेकिन उन्हें इस बारे में कुछ भी पता नहीं था. उनको बीटेक कराने के लिए उनके पिता ने अपनी जमीन बेच दी.
शुरुआत से उनकी अंग्रेजी बहुत कमजोर थी, जिस पर धीरे-धीरे उन्होंने अपनी पकड़ मजबूत की. 2009 में बीटेक करने के बाद वह अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी पहुंचे, जहां उन्हें दाखिला मिल गया. जब वैज्ञानिक के तौर पर काम कर रहे थे, तभी उनके मन में आईपीएस बनने का ख्याल आया.
पहले प्रयास में वह प्रीलिम्स में भी फेल हो गए. इसके बाद उन्होंने फिर से परीक्षा दी और वह प्रीलिम्स और मैन्स दोनों में पास हो गए. फिर भी उनका चयन नहीं हुआ. आखिरकार 2014 में उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा पास कर ली और वह आईपीएस अधिकारी बन गए. अब वह देश के लाखों बच्चों को मार्गदर्शन देते हैं. वह यूट्यूब चैनल फ्री अकैडमी के जरिए बच्चों को जानकारी देते हैं.
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