कुछ लोगों में अपने सपनों को हकीकत में बदलने के लिए ऐसा जज्बा होता है, जो किसी भी मुसीबत के सामने नहीं टूटता. ऐसी ही कहानी है उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव के रहने वाले दो भाइयों महेंद्र यादव और धीरेंद्र यादव की. दोनों भाइयों ने दिन रात मेहनत की और पायलट बनकर अपने पिता का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया.
हालांकि इन दोनों भाइयों के लिए यह राह बिल्कुल भी आसान नहीं रही. महेंद्र और धीरेंद्र के पिता लाल बहादुर यादव की आर्थिक स्थिति बेहद खराब थी. लेकिन उन्होंने अपने बेटों को अच्छी शिक्षा दिलाई. लाल बहादुर अपने बेटों को पायलट बना सके इसलिए उन्होंने कर्जा लेकर अपने बच्चों को पढ़ाया. उन्होंने बैंक और रिश्तेदारों से कर्ज लेकर बच्चों की फीस भरी.
दोनों बेटों ने अपने पिता की उम्मीदों पर पानी नहीं फेरा. दिन-रात दोनों भाइयों ने खूब मेहनत की और ऑल इंडिया पायलट परीक्षा में अच्छे अंक हासिल किए. महेंद्र ने इस परीक्षा में पहला और उनके छोटे भाई धीरेंद्र ने पांचवां स्थान प्राप्त कर पिता का नाम रोशन कर दिया. दोनों भाइयों में 2014 में एक साथ इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड़ान अकादमी फुरसतगंज में एडमिशन के लिए टेस्ट दिया था.
दोनों ने परीक्षा पास कर ली और उनका एडमिशन भी हो गया जिसके बाद दोनों को पायलट बनने की ट्रेनिंग की मिली और फरवरी 2019 में दोनों की ट्रेनिंग भी पूरी हो गई. बेटों की कामयाबी से लाल बहादुर यादव की खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा. हालांकि पिता के त्याग की बदौलत ही दोनों बेटे इस सफलता को हासिल कर पाए.
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