पिता बेचते थे टोकरियां और तीर-धनुष, फिर भी गरीब घर की बेटी मेहनत करके बनी केरल की पहली आदिवासी महिला IAS

आज हम आपको केरल के वायनाड जिले के पोज़ुथाना गांव की आदिवासी लड़की श्रीधन्या सुरेश के बारे में बता रहे हैं जो आईएएस अधिकारी बन गई और उन्होंने इतिहास रच दिया. श्रीधन्या सुरेश केरल की आईएएस अधिकारी बनने वाली पहली आदिवासी महिला है. वह कुरिचिया जनजाति से ताल्लुक रखती हैं.

आप सब यह तो जानते ही होंगे कि आदिवासी लोगों को जिंदगी में किस तरह की मुश्किलें झेलनी पड़ती है. श्रीधन्या भी आदिवासी तबके से आती हैं, इसी वजह से उनको बचपन में काफी मुश्किलें झेलनी पड़ी. उनके पिता मनरेगा में मजदूरी करते थे, जिससे बहुत ज्यादा आमदनी नहीं होती थी. इसी वजह से वह तीर-धनुष, टोकरियां बनाकर भी बेचते थे.

श्रीधन्या के पिता भले ही खुद ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं थे. लेकिन वह अपनी बेटी को पढ़ाना चाहते थे. श्रीधन्या भी अपने पिता की उम्मीदों पर खरा उतरना चाहती थी और कुछ ऐसा करना चाहती थीं, जिससे उनके समुदाय के लोगों की जिंदगी में सुधार आए. पहले श्रीधन्या ने केरल के अनुसूचित जनजाति विकास डिपार्टमेंट में क्लर्क की नौकरी की. इसके बाद वह एक हॉस्टल में वार्डन की नौकरी करने लगी.

बता दें कि श्रीधन्या को वायनाड के तत्कालीन कलेक्टर श्रीराम समाशिव राव जी से मार्गदर्शन मिला. उनके मार्गदर्शन की वजह से ही श्रीधन्या यूपीएससी परीक्षा में सफलता पाने में कामयाब रही. श्रीधन्या ने 2019 में यूपीएससी परीक्षा में 410वीं रैंक हासिल की और वह केरल की पहली आदिवासी महिला आईएएस अधिकारी बन गई. भले ही श्रीधन्या ने परीक्षा पास कर ली थी. लेकिन उनके पास इंटरव्यू के लिए दिल्ली जाने तक के पैसे नहीं थे. ऐसे में उनके दोस्तों ने उनके लिए पैसे इकट्ठे किए और इस तरह वह दिल्ली गईं और उन्होंने इंटरव्यू दिया.

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