महादेव का एक ऐसा मंदिर जिसे एक रात में पांडवों द्वारा बनाया गया था, जहा पर शिवलिंग पीती है गाय का दूध, जाने इस मंदिर के बारे मे

भगवान शिव अर्थात महादेव त्रिदेव में से एक हैं। भगवान महादेव को संहार का देवता माना जाता है लेकिन ऐसा भी माना जाता है कि महादेव सबसे ज्यादा भोले स्वभाव के होते हैं। ऐसा माना जाता है कि यह बहुत जल्दी ही प्रसन्न हो जाते हैं अपने भक्तों से। इन को प्रसन्न करने के लिए बहुत कठिन पूजा-पाठ और नियम कायदों का पालन नहीं करना पड़ता है यह तो एक लोटा जल से ही प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्तों की सारी मुरादें- मनोकामना पूरी करते हैं। भगवान महादेव को सबसे ज्यादा पूजनीय और पूजा किए जाने वाले देवता माना जाता है हर कोई महादेव की पूजा अवश्य करते हैं सिर्फ इंसान ही नहीं देवता भी महादेव की पूजा करते हैं।

हमारे भारत देश में सर्वाधिक हिंदू धर्म के लोग रहते हैं और हिंदू धर्म के लोग पूजा-पाठ में बहुत विश्वास रखते हैं जिसकी वजह से पूरे भारतवर्ष में विभिन्न-विभिन्न प्रकार के मंदिर है। कुछ मंदिर तो बहुत चमत्कारी भी है ऐसे में भगवान महादेव के भी अनेकों मंदिर है। हर जगह इनके मंदिर देखने को मिल जाते हैं सिर्फ भारत में नहीं इसके अलावा विदेशों में भी भगवान महादेव के अनेकों मंदिर स्थापित है। हमारे भारत में कुछ ऐसे मंदिर है जो कई वर्षों से बने हुए हैं ऐसे में कुछ मंदिरों का अलग विशेष महत्व होता है ऐसे में ही एक मंदिर है देवभूमि उत्तराखंड में ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर को पांडवों के एक ही रात में बनाया गया था इसलिए यह बहुत ही विशेष मंदिर माना जाता है, वैसे तो पांडवों ने महादेव के अनेकों मंदिर स्थापित किए हैं लेकिन यह मंदिर उन्होंने एक ही रात में बना कर तैयार किया था इसलिए इस मंदिर का एक विशेष महत्व है। जिस जगह पर यह मंदिर स्थित है यह भगवान शिव और माता पार्वती की पावन स्थली मानी जाती है इस मंदिर का नाम बिनेश्वर महादेव मंदिर है।

बिनेश्वर महादेव मंदिर (बिनसर)
महादेव के अनेकों मंदिर में से बीनेश्वर महादेव का मंदिर सबसे ज्यादा लोकप्रिय मंदिर माना जाता है। यह मंदिर उत्तराखंड के रानी खेत से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है मोटे देवदार के बीच में बनेश्वर महादेव का पवित्र और सबसे ज्यादा लोकप्रिय दिव्य और आध्यात्मिक मंदिर माना जाता है इसके पास आसपास का वातावरण बहुत ज्यादा शुद्ध पवित्र और आकर्षित होता है यह अपनी आदित्य प्राकृतिक सुंदरता के लिए बहुत ज्यादा प्रसिद्ध है। दूर-दूर से लोग यहां पर इस मंदिर के दर्शन के लिए आते हैं ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में दर्शन मात्र से ही सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

कुंज नदी के दुर्गम में तत्पर करीब साढे 5000 फीट की ऊंचाई पर बिनसर महादेव मंदिर स्थापित किया गया है, समुद्र सतह से 2480 मीटर की ऊंचाई पर बना यह मंदिर हरे-भरे देवदार आदि जंगलों से घिरा हुआ है ऐसा माना जाता है कि बाद में बिनेश्वर महादेव 9वी और 10 वीं सदी में चंद्र वंश के द्वारा पुनः स्थापित किया गया और इसलिए यह उत्तराखंड में सदियों से एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक माना जाता है यहा गणेश और गौरी और महेश मर्दिनी की मूर्ति के साथ अपनी स्थापत्य कला के लिए बहुत लोकप्रिय है।

बनेश्वर महादेव मंदिर से जुड़े इतिहास
बनेश्वर महादेव मंदिर के इतिहास के बारे में ज्यादा जानकारी किसी को भी नहीं पता है फिर भी कई शोधकर्ताओं ने इस जगह पर रिसर्च किया है और उन्होंने बताया है कि इस मंदिर के बारे में तथ्यों का पता लगाने का प्रयास किया गया है। महादेव का यह मंदिर अपने पुरातत्व महादेव और वनस्पति के लिए बहुत लोकप्रिय है। मंदिर के बारे में सीमित दस्तावेजों के कारण अलग-अलग लोगों को अलग-अलग तरह की कहानी प्राप्त है जो इसकी खोज के बारे में बताती है।

बिनेश्वर महादेव मंदिर से जुड़ी मान्यताएं
●मंदिर के संबंध में ऐसा माना जाता है कि सोनी बिनसर के निकट कि रोला गांव में एक 65 वर्षीय संतानी वृद्ध रहते थे उन्हें अब सपने में एक साधु ने दर्शन देकर कहा कि कुंज नदी के तट पर एक झाड़ी में शिवलिंग पड़ा हुआ है उसे प्रतिष्ठित कर मंदिर का निर्माण करो उस व्यक्ति ने आदेश का पालन किया और मंदिर की स्थापना की और उसे पुत्र की प्राप्ति हुई।

●पूर्व में इस स्थान पर छोटा सा एक मंदिर स्थापित है वर्ष 1949 में श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा से जुड़े ब्रह्मलीन नाना बाबा मोहन गिरी के नेतृत्व में इस स्थान पर भव्य मंदिर का जीर्णोद्धार शुरू हुआ इस मंदिर में वर्ष 1970 से अखंड ज्योति जल रही है जो आज तक जल ही रही है।

●एक और मान्यता के अनुसार पूर्व में मन्दिर के निकटवर्ती सोनी गांव में मनिहार लोग रहते थे उनमें से एक की दुधारू गाय रोजाना बिनसर क्षेत्र में घास चरने जाया करती थी घर आने पर इस गाय का दूध निकला रहता था एक दिन मनिहार गाय का पीछा करने चल दिया उसने देखा कि जंगल में एक शीला के ऊपर खड़ी होकर गाय दूध छोड रही थी और शीला दूध पी रही थी इससे गुस्साए मनिहार ने गाय को धक्का देकर कुल्हाड़ी के उल्टे हिस्से से शीला पर प्रहार कर दिया, इससे शीला से रक्त की धार बहने लगी उसी रात एक बाबा ने स्वप्न में आकर मनिहारों को गांव छोड़ने को कहा और वह गांव छोड़कर रामनगर चले गए।

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