मां के गर्भ में ही उठ गया पिता का साया, मां ने मजदूरी कर बेटे को पढ़ाया, झोपड़ी में रहने वाला राजेंद्र बना IAS अधिकारी

आज हम आपको IAS अधिकारी राजेंद्र भरूद के बारे में बता रहे हैं, जो कठिन परिस्थितियों से गुजरने के बाद इस मुकाम तक पहुंचे हैं. राजेंद्र भरूद जब अपनी मां के गर्भ में थे, तभी उनके पिता का निधन हो गया था. उनकी मां ने शराब बेचकर उनका पालन-पोषण किया. कभी-कभी तो यह नौबत आ जाती थी कि उन्हें अपने भूखे बच्चों को शांत कराने के लिए एक-दो बूंद शराब पिलानी पड़ती थी.

राजेंद्र भरूद का जन्म महाराष्ट्र के सकरी तालुका के सामोडा गांव में एक गरीब परिवार में हुआ. राजेंद्र के पास अपने पिता की एक तस्वीर भी नहीं है. उन्होंने अपने पिता को एक भी बार नहीं देखा. राजेंद्र ने प्रारंभिक शिक्षा जिला परिषद स्कूल से की. लेकिन जब वह पांचवी कक्षा में थे तो उनके शिक्षकों ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें अच्छे स्कूल में दाखिला दिलवाने को कहा.

तब राजेंद्र की मां ने उन्हें गांव से 150 किलोमीटर दूर जवाहर नवोदय विद्यालय में भेजने का निर्णय किया. राजेंद्र अपनी छोटी-सी झोपड़ी के चबूतरे पर बैठ कर पढ़ाई किया करते थे. लोग जब उनके घर शराब लेने आते थे तो उनसे स्नेक्स और सोडा आदि मंगवाते थे, जिसके बदले उन्हें कुछ पैसे मिल जाते थे. राजेंद्र ने कई सालों तक इस तरह अपना खर्चा चलाया.

पढ़ाई के दौरान उनका रुझान विज्ञान के विषयों पर गया, तो उन्होंने डॉक्टर बनने का निर्णय किया. 10वीं और 12वीं में टॉप करने के बाद उन्होंने मेडिकल की परीक्षा दी, जिसे पासकर उन्होंने सेठ जीएस मेडिकल कॉलेज मुंबई में दाखिला लिया. राजेंद्र ने डॉक्टर बनने के बाद यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी और कड़ी मेहनत के बाद उन्हें सफलता मिली. उन्होंने दूसरे प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा पास कर ली.

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