
आए दिन सफलता की ऐसी कहानियां सुनने को मिल जाती हैं, जो प्रेरणा देती हैं. आज हम आपको आईपीएस ऑफिसर प्रहलाद सहाय मीना के बारे में बता रहे हैं जिन्होंने वह काम किया, जो उनके आसपास के गांव में कोई नहीं कर सका. 6 बार उनकी सरकारी नौकरी लगी, लेकिन 5 बार उन्होंने नौकरी छोड़ दी क्योंकि वह भारतीय पुलिस सेवा का अवसर बनना चाहते थे.
प्रहलाद का जन्म राजस्थान के दौसा जिले में हुआ. उनका बचपन गरीबी में बीता. उनके पिता के पास 2 बीघा जमीन थी जिससे घर चला पाना मुश्किल होता था. इसी वजह से उनके माता-पिता दूसरे के खेतों में बंटाई करके खर्चा चलाते थे. दसवीं में प्रहलाद स्कूल टॉपर थे. वह इंजीनियर बनना चाहते थे. लेकिन उनके परिवार वालों की आर्थिक स्थिति अच्छी ना होने की वजह से उनका यह सपना पूरा नहीं हुआ. उनके घर वालों ने किसी तरह उनका एडमिशन जयपुर के राजस्थान कॉलेज में करवाया, जहां उनकी कुछ लोगों से दोस्ती हुई और उनके अंदर सिविल सेवा में जाने का जज्बा जागा.
उन्होंने सबसे पहले नौकरी खोजना शुरू कर दिया. उनका चयन भारतीय रेलवे में ग्रुप डी में हुआ था. बता दें कि 2008 में जब वह बीए सेकंड ईयर में थे तो उनका चयन भारतीय रेलवे में भुवनेश्वर बोर्ड से गैंगमैन के पद पर हुआ था. उन्होंने नौकरी लगने के बाद भी अपनी पढ़ाई जारी रखी. इसके बाद उनका चयन भारतीय स्टेट बैंक में सहायक के पद पर हुआ, जहां उन्होंने नौकरी भी की और बीए किया और अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखी.
2010 में उनका चयन भारतीय स्टेट बैंक में परीवीक्षाधीन अधिकारी के पद पर हुआ. उन्होंने 2019 में एसएससी द्वारा आयोजित संयुक्त स्नातक स्तरीय परीक्षा पास की और फिर उन्हें रेलवे मंत्रालय में सहायक अनुभाग अधिकारी के पद पर पदस्थान मिला. फिर उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी, जिसमें वह तीन बार असफल हुए. लेकिन लगातार मेहनत करते रहे और आखिरकार कड़े प्रयासों के बाद उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा पास की और अपने गांव से पहले आईपीएस ऑफिसर बने.
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