उत्तर प्रदेश और बिहार के युवाओं में यूपीएससी परीक्षाओं को लेकर अलग ही क्रेज देखने को मिलता है. उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के गांव माधोपट्टी को अफसरों का गांव भी कहा जाता है. यह गांव राजधानी लखनऊ से लगभग 250 किलोमीटर दूर है, जहां हर घर से एक व्यक्ति आईएएस या आईपीएस है. इतना ही नहीं इस गांव के कई लोग इसरो, मनिला और इंटरनेशनल बैंकों में अच्छी पोस्ट पर तैनात है.
रिपोर्ट के मुताबिक, गांव के पहले आईएएस अधिकारी मुस्तफा हुसैन मशहूर कवि वमीक जौनपुरी के पिता थे. उन्होंने 1914 में यूपीएससी परीक्षा पास की थी और वह पीसीएस में शामिल हुए थे. हुसैन के बाद 1951 में इंदु प्रकाश ने सिविल सेवा परीक्षा में दूसरी रैंक हासिल की थी और वह IFS ऑफिसर बने. वह 16 देशों में भारत के राजदूत भी रहे. 1953 में उनके भाई विद्या प्रकाश सिंह आईएएस अधिकारी चुने गए.
माधोपट्टी गांव का एक रिकॉर्ड यह भी है, यहां एक परिवार के चार भाइयों ने आईएएस परीक्षा पास करने का नया रिकॉर्ड कायम किया है. माधोपट्टी में कोई कोचिंग इंस्टिट्यूट नहीं है. यहां के युवा कड़ी मेहनत और लगन के दम पर ही सफलता हासिल कर रहे हैं.
यहां के एक शिक्षक ने बताया कि इंटरमीडिएट में पढ़ने वाले छात्र अक्सर IAS और PCS परीक्षाओं के लिए मार्गदर्शक पुस्तकों के साथ दिखाई देते है और स्कूल से ही आईएएस बनने की तैयारियों में जुट जाते हैं.
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