शिवलिंग परिक्रमा करते हुए रखें इन बातों का विशेष ध्यान, वरना शिव जी हो जाएंगे नाराज

भगवान शिव को खुश करने के लिए उनके शिवलिंग की पूजा हम सभी करते हैं। ऐसा भी माना जाता है कि भगवान शिव की पूजा सबसे आसान होती है और बहुत आसानी से ही भगवान शिव प्रसन्न हो जाते हैंम शिव पूजन में शिवलिंग की पूजा का विशेष महत्व है ऐसे में हम हर सोमवार के दिन शिवलिंग को जल चढ़ाते हैं, बेलपत्र धतूरा और भांग अर्पित करते हैं। इसके अलावा शिवलिंग पर चंदन का लेप किया जाता है जिससे भगवान शिव प्रसन्न होते हो और शिव भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण करते हैं। ऐसे में सभी पूजा का पूरा फल तभी प्राप्त होता है जब पूजा के दौरान परिक्रमा की जाती है। किसी भी भगवान की परिक्रमा करने के कुछ नियम होते हैं जिन का ज्ञान होना बहुत आवश्यक होता है। ऐसे में शिवलिंग की परिक्रमा करते समय कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना बहुत आवश्यक होता है।

जान ने शिवलिंग की परिक्रमा कैसे की जाती है
शास्त्रों में लिखा है कि शिवलिंग की कभी भी पूरी परिक्रमा नहीं की जाती है। शिवलिंग की हमेशा चंद्राकार परिक्रमा मतलब की आधी परिक्रमा की जाती है हमारे शास्त्रों में शिवलिंग की पूरी परिक्रमा करना वर्जित माना गया है। शिवलिंग की परिक्रमा हमेशा बाई ओर से शुरू करनी चाहिए इसके बाद आधी परिक्रमा करके फिर लौटकर उसी स्थान पर आ जाना चाहिए।

जलाधारा को लगने की भूल ना करें ऐसी मान्यता है कि शिवलिंग को कभी भी भूलकर लांघना नहीं चाहिए इससे घोर पाप लगता है शिवलिंग को ऊर्जा और शक्ति का भंडार माना गया है यदि परिक्रमा करते हुए इसे लांघा जाए तो मनुष्य को बहुत आपका भागीदारी बनना पड़ता है शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

शिवलिंग से प्रवाहित होती सकारात्मक ऊर्जा ऐसा माना जाता है कि शिवलिंग भगवान शंकर का एक अभिन्न अंग है और इसकी तासीर बहुत गर्व मानी जाती इसी वजह से शिवलिंग को ऐसी वस्तुएं चढ़ाई जाती जिसका ताशीर ठंडा हो जैसी चीजों को शिवलिंग पर चढ़ाया जाता है इसी वजह से मंदिरों में शिवलिंग के ऊपर एक घड़ा रखा होता जिसमें से पानी की बूंद शिवलिंग पर लगातार गिरती रहती है ताकि शिवलिंग की गर्मी को कम किया जा सके और उससे सकारात्मक ऊर्जा प्रवाहित हो सके।

शिवलिंग के जल को घर में करें छिड़काव हमारे धर्मों में ऐसा लिखा हुआ है कि शिवलिंग का ऊपरी हिस्सा पुरुष और निचला हिस्सा स्त्री का प्रतिनिधित्व करता है इसके वजह से ही शिवलिंग को शिव और शक्ति दोनों का ही रूप माना जाता है और दोनों के ही ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है यह उर्जा बहुत ही गर्म और शक्तिशाली होती है इसलिए शिवलिंग पर जलाभिषेक करके उस ऊर्जा को शांत करने की कोशिश की जाती है ऐसे करते समय उज्जैन में शिव और शक्ति की उर्जा के कुछ अंश समाहित हो जाते हैं घर में उस जल का छिड़काव करने से नकारात्मक शक्तियां दूर भाग जाती है।

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