सनातन धर्म में गौ माता की पूजा का विशेष महत्व है गाय को हिंदू धर्म में देवी स्वरूप और सबसे पवित्र माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इसमें 33 करोड़ देवी देवताओं का वास होता है इसलिए गाय को पूजनीय माना जाता है। गाय माता की पूजा के लिए गोपाष्टमी पर्व का दिन सबसे सर्वश्रेष्ठ होता है।
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को गोपाअष्टमी का पर्व मनाया जाता है इस दिन गौ माता की पूजा अर्चना की जाती है। ऐसा माना जाता है कि गोपाष्टमी के दिन गौ माता की पूजा करने से घर में सुख समृद्धि और खुशहाली आती है।
गोपाष्टमी की शुभ तिथि और मुहूर्त
गोपाअष्टमी इस वर्ष 11 नवंबर 2021 को मनाया जाएगा गोपाष्टमी 11 नवंबर 2021 को 6:49 से प्रारंभ होगा तथा 12 नवंबर 2021 को 5:51 पर समाप्त होगा
गोपाष्टमी के पीछे पौराणिक मान्यता
गोपाष्टमी पर्व मनाने के पीछे एक कथा प्रचलित है इस कथा के अनुसार बालकृष्ण ने माता यशोदा से इस दिन गाय चराने की बहुत जिद की थी। यशोदा माता ने कृष्ण जी के पिता नंद बाबा से इसकी अनुमति मांगी थी, नंद महाराज मुहूर्त के लिए एक ब्राह्मण से मिले ब्राह्मण ने कहा कि गाय चराने की शुरुआत करने के लिए याद सबसे उत्तम है इसलिए अष्टमी पर कृष्ण ग्वाले बन गये थे और उन्हें गोविंदा के नाम से भी लोग पहचानने लगे, साथ ही माता यशोदा ने अपने पुत्र के श्रृंगार किया और जैसे ही पैरों में जूतियां पहनाए लगी तो कृष्ण जी ने मना कर दिया और बोले मैया यदि मेरी गाय जूतियां नहीं पहनती तो मैं कैसे पहन सकता हूं। यदि पहना सकती हो तो उन सभी को भी जूतियां पहना दो और भगवान जब तक वृंदावन में रहे भगवान कभी भी पैरों में जूतियां नही पहनी। इसी वजह से गोपाअष्टमी की पूजा की जाती है गोपाष्टमी पर्व ब्रज में बहुत धूमधाम के साथ मनाया जाता है इस दिन गाय और उनके बछड़ों की पूजा करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
इस प्रकार करें गोपाष्टमी के दिन पूजा
गोपा अष्टमी का दिन अष्टमी के दिन होता है इस दिन सुबह से ही गाय की पूजा की जाती है इसकी शुरुआत आप इस प्रकार करें–
■गोपाष्टमी के दिन सुबह के समय गाय और उसके बछड़े को नहला कर साफ सुथरा करें और उन्हें तैयार करें। साथ ही गाय और उसके बछड़े का श्रृंगार भी किया जाता है।
■गाय और उनके बछड़े के पैरों में घुंघरू बांधे जाते हैं साथ ही कई प्रकार के आभूषण भी पहनाए जाते हैं गाय के सिन्घो में चुनरी बांधी जाती है
■गोपाष्टमी के दिन सुबह के समय जल्दी उठकर स्नान कर ले फिर गाय के चरणों को स्पर्श करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
■इसके बाद गाय की परिक्रमा की जाती है परिक्रमा के बाद उन्हें चराने के लिए बाहर ले जाया जाता है।
■इस दिन यदि ग्वालो को को दान दिया जाए तो यह बहुत शुभ होता है कई जगह पर ग्वालों को नए कपड़े दिए जाते हैं और तिलक लगाया जाता है।
■शाम के समय जब गाय घर वापस आती है तो उनकी पूजा की जाती है इसके बाद उन्हें भोजन कराया जाता है इस दिन गाय को हरा चारा,हरा मटर एवं गुड़ खिलाना सबसे उत्तम होता है।
■यदि आपके घर में गाय नहीं है तो वे लोग गौशाला जाकर भी गाय की पूजा अर्चना कर सकते हैं गौशाला में गाय को खाना खिला कर सामान दान किया जा सकता है इस दिन कई लोग तो कृष्णा जी की भी पूजा करते है और कृष्ण जी के भजन भी गाए जाते हैं।
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