मेहनत की जाए तो एक दिन फल जरूर मिलता है. आज हम आपको भारतीय सेना में अधिकारी बन चुके बालबंका तिवारी की कहानी बता रहे हैं जो एक समय ओडिशा में एक फैक्ट्री में प्रतिदिन ₹50 कमाने के लिए नौकरी करते थे. उनका भारतीय सेना में सिपाही बनने तक का सफर बहुत मुश्किलों से भरा रहा.
स्कूली शिक्षा के दौरान ही बालबंका ने स्नैक फैक्ट्री में काम करना शुरू कर दिया था, ताकि उनके परिवार की आर्थिक रूप से मदद हो सके. उन्होंने हाई स्कूल पूरा करने के बाद बच्चों को ट्यूशन भी पढ़ाया. मैट्रिक पास करने के बाद वह 2008 में ओडिशा के राउरकेला गए, जहां कुछ समय तक उन्होंने लोहे की फैक्ट्री में काम किया और इसके बाद उन्होंने स्नैक फैक्ट्री में नौकरी की.
12वीं की पढ़ाई के दौरान उन्हें स्नैक फैक्ट्री में काम के लिए हर रोज ₹50 मिलते थे. 12वीं के बाद उन्होंने एक स्थानीय कॉलेज में दाखिला लिया. लेकिन एक दिन उनके चाचा ने उन्हें दानापुर इलाके में एक सेना भर्ती रैली के बारे में जानकारी दी. उनके चाचा सिपाही के रूप में सेना में थे. तभी से उनके मन में सेना में भर्ती होकर राष्ट्र देश की सेवा करने की इच्छा जागी.
बालबंका दूसरे प्रयास में परीक्षा में पास हो गए और सिपाही के रूप में सेना में शामिल हो गए. उनकी पोस्टिंग 2012 में भोपाल में सेना के ईएमई केंद्र में हुई थी. बालबंका को बाद में एक अधिकारी के पद पर पदोन्नत कर दिया गया.
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