आज हम आपको मेवाड़-वागड़ (दक्षिणी राजस्थान) के रहने वाले संजय लुणावत की कहानी बता रहे हैं, जो पिछले 4 साल से गरीब और जरूरतमंद बच्चों को पढ़ा रहे हैं. जिन बच्चों के पास बड़े कोचिंग संस्थान में मोटी फीस देकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने के लिए पैसे नहीं है, ऐसे बच्चों को संजय शिक्षा देते हैं. वह राजस्थान के 13 जिलों के बच्चों के पढ़ा चुके हैं. उन्होंने अपना कोचिंग सेंटर माय मिशन जब शुरू किया था, तो उनसे 20 बच्चे पढ़ते थे. अब तक वह 4000 से ज्यादा बच्चों को पढ़ा चुके हैं.
संजय ने बताया कि उनके पिता ने नेत्रदान किया. उनकी आंखों का कॉर्निया दो व्यक्तियों को लगाया गया. आज भले ही उनके पिता जीवित ना हो. लेकिन वह 2 लोग उनकी बदौलत दुनिया को देख पा रहे हैं. संजय सेकंड ग्रेड मैथमेटिक्स टीचर बनने के बाद 2013 में प्रधानाध्यापक परीक्षा की कोचिंग के लिए उदयपुर आए. वह ऐसा कोचिंग सेंटर तलाश रहे थे, जहां पढ़ाई अच्छी हो और फीस भी कम हो. लेकिन उन्हें कोई ऐसा कोचिंग सेंटर नहीं मिला, तो वह खुद ही पढ़ने में जुट गए. उन्होंने कोचिंग सेंटर में देखा कि वहां बस सिलेवस को पूरा करवाने की जल्दी रहती है.
किसी भी सब्जेक्ट को अच्छे से नहीं पढ़ाया जाता. फिर उन्होंने खुद एक कोचिंग सेंटर खोलने की सोचा. शुरुआत में कुछ बच्चे उनसे पढ़ने आते थे. शुरुआत में तो वह भी पैसे कमाने के इरादे से कोचिंग दे रहे थे. लेकिन एक बच्चा फीस के लिए सिक्के इकट्ठे कर लाया और उन्हें दे दी. इसके बाद उनकी सोच ही बदल गई.
अब उनके पास डेढ़ सौ से ज्यादा विद्यार्थी कोचिंग के लिए आते हैं. वह बच्चों को निशुल्क कोचिंग देते हैं. उनके सेंटर से 10 लोग और जुड़ चुके हैं जिससे वह और ज्यादा बच्चों को पढ़ा सकते हैं. उनके सेंटर से अब तक 400 से ज्यादा बच्चे विभिन्न सेवाओं के लिए चयनित हो चुके हैं. संजय खुद तीन बार आरएएस परीक्षा पास कर चुके हैं. लेकिन उन्हें अच्छी पोस्ट नहीं मिली. इस वजह से उन्होंने जॉइनिंग नहीं की. संजय फिलहाल प्रिंसिपल के रूप में पोस्टेड हैं और उन्हें अच्छी सैलरी मिलती है.
Leave a Reply