मां से मात्र 25 रुपये लेकर घर से निकले थे मोहन सिंह ओबरॉय, खड़ी कर दी सात हजार करोड़ की कंपनी

ओबरॉय ग्रुप आज देश के अमीर घरानों में से एक है. लेकिन इसकी शुरुआत कैसे हुई, यह आपको शायद नहीं पता होगा. ओबरॉय ग्रुप के संस्थापक और चेयरमैन राय बहादुर मोहन सिंह ओबेरॉय हैं. मोहन सिंह ओबरॉय का जन्म वर्तमान पाकिस्तान के झेलम जिले के भनाउ गांव में हुआ था. उनका बचपन बेहद मुश्किलों में बीता. जब वो 6 महीने के थे तभी उनके पिता का देहांत हो गया, जिसके बाद सारी जिम्मेदारियां उनकी मां के कंधों पर आ गई.

शुरुआती पढ़ाई उन्होंने गांव के स्कूल से पूरी की. बाद में वह पाकिस्तान के रावलपिंडी शहर में चले गए और उन्होंने सरकारी कॉलेज से अपनी पढ़ाई की. पढ़ाई पूरी होने के बाद उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती थी रोजगार तलाशना. लेकिन उन्हें चारों तरफ से निराशा ही मिल रही थी. जब उन्हें कोई काम नहीं मिला तो उनके मित्र ने उन्हें सलाह दी. मित्र की सलाह पर वह अमृतसर में टाइपिंग कोर्स करने चले गए. हालांकि उन्हें कोर्स शुरू होने के दौरान ही आभास हो गया था कि इस क्षेत्र में बहुत ज्यादा संभावनाएं रही है. तभी वह कोर्स बीच में छोड़कर गांव वापस लौट गए.

जब वह गांव वापस लौट आए तो उन्होंने अपने चाचा के कारखाने में जूते बनाने और बेचने का काम शुरू कर दिया. लेकिन कुछ समय बाद यह कारखाना भी बंद हो गया. जब मोहन इन मुश्किल परिस्थितियों से जूझ रहे थे इसी बीच उनका विवाह करवा दिया गया. शादी के बाद मोहन सिंह ओबरॉय का ज्यादातर समय ससुराल में बीतने लगा. लेकिन इसी दौरान उनके गांव में प्लेग फैल गया. इस गंभीर बीमारी की वजह से गांव के कई लोगों की जान जा चुकी थी. उनकी मां ने उन्हें ससुराल जाने के लिए कहा. मां की बात मानकर वह अपनी ससुराल चले गए.

जब वह ससुराल में रह रहे थे उन्होंने 1 दिन अखबार में एक सरकारी नौकरी का विज्ञापन छपा हुआ देखा. वह विज्ञापन देखने के बाद बिना कुछ सोचे समझे शिमला निकल गए. उनकी मां ने उन्हें ₹25 दिए थे, जिसे लेकर वो शिमला गए. शिमला में उन्होंने बड़ी-बड़ी इमारतें देखी. शिमला घूमने के दौरान उनकी नजर सिसिल होटल पर पड़ी जो उन दिनों देश का जाना माना होटल हुआ करता था. वह होटल के अंदर घुस गए.

बड़ी जद्दोजहद के बाद उनकी मुलाकात होटल के मैनेजर साहब डी.वी. जॉर्ज से हुई. उन्होंने ₹40 की तनख्वाह पर होटल में नौकरी शुरू कर दी. कुछ समय बाद उन्हें होटल में रहने की जगह भी मिल गई. कुछ समय बाद सिसिल होटल के मैनेजर क्लार्क ने उन्हें ₹25,000 में होटल खरीदने के लिए कहा.

हालांकि यह राशि उस समय बहुत ज्यादा थी. यह रकम जुटाने के लिए उन्होंने अपनी पैतृक संपत्ति और पत्नी के गहने गिरवी रख दिए. 1934 में मोहन सिंह ओबेरॉय सिसिल होटल के मालिक बन गए. 1934 में उन्होंने ओबरॉय ग्रुप की स्थापना की. आज ओबेरॉय के पास सात हजार करोड़ का ओबरॉय ग्रुप है.

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