अखबार बेचने वाला दर्जी का बेटा कड़ी मेहनत से बना IAS अधिकारी

आज हम आपको IAS ऑफिसर नीरीश राजपूत की कहानी बता रहे हैं जिनके पास एक समय पढ़ने के लिए भी पैसे नहीं थे. उनकी आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी. अपनी पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए वह अखबार बेचते थे और अपने पिता के साथ सिलाई के काम में हाथ भी बंटाया करते थे. नीरीश राजपूत ने यूपीएससी परीक्षा में 370वीं रैंक हासिल की.

नीरीश राजपूत मध्य प्रदेश के भिंड जिले के रहने वाले हैं, उनके पिता सिलाई का काम करते हैं. वह अपने परिवार के साथ 15 बाई 40 फीट के छोटे से कमरे में रहते थे. उनके तीन भाई-बहन हैं. हालांकि इतने छोटे घर में पढ़ाई कर पाना बहुत मुश्किल होता था. वह बचपन से ही पढ़ाई में बहुत तेज थे. हालांकि उन्हें आईएएस अधिकारी बनने के लिए काफी मुश्किलों से गुजरना पड़ा. फिर भी नीरीश राजपूत ने हार नहीं मानी. वह लगातार मेहनत करते रहे.

10वीं में उन्होंने 72% अंक हासिल किए. इसके बाद वह पढ़ाई के लिए ग्वालियर चले गए, जहां उन्होंने बीएससी और एमएससी किया. उन्होंने अपनी पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए पार्ट टाइम नौकरी भी की और यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करते रहे. उनके दोस्त ने उत्तराखंड में एक नया कोचिंग इंस्टिट्यूट खोला, जहां नीरीश को पढ़ाने का ऑफर मिला. नीरीश से उनके दोस्त ने वादा किया था कि अगर उनका कोचिंग सेंटर अच्छा चलता है तो वह उन्हें सिविल सर्विसेज की तैयारी के लिए स्टडी मटेरियल उपलब्ध करा देंगे.

नीरीश राजपूत ने 2 सालों तक इंस्टिट्यूट में पढ़ाया. लेकिन जब इंस्टिट्यूट चलने लगा तो दोस्त ने उन्हें नौकरी से निकाल दिया. ऐसे में नीरीश बुरी तरह से टूट गए. लेकिन फिर वह दिल्ली आ गए, जहां उनकी मुलाकात एक ऐसे शख्स से हुई, जो आईएएस की तैयारी कर रहा था. इस शख्स से नीरीश राजपूत की दोस्ती हो गई. अब वह अपने दोस्त से नोट्स उधार लेकर पढ़ाई करते रहे थे. आखिरकार कड़ी मेहनत के बाद नीरीश राजपूत ने यूपीएससी परीक्षा पास की और वह अब आईएएस अधिकारी के पद पर तैनात हैं.

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