अपने गांव के विकास के लिए डॉक्टरी छोड़ सरपंच बनी शहनाज़ खान

महिलाएं आज किसी भी मामले में पुरुषों से पीछे नहीं हैं. हर काम में वह कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं. आज हम आपको 24 साल की शहनाज खान के बारे में बता रहे हैं जिन्होंने एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की, लेकिन अपने गांव के विकास के लिए वह गांव की सरपंच बन गईं. उन्होंने उस गांव की पूरी तरह से कायापलट कर दी है.

राजस्थान के भरतपुर जिले के छोटे से गांव कामा की रहने वाली शहनाज खान ने 5 मार्च को सरपंच पद के लिए चुनाव लड़ा और वह जीत गईं. शहनाज ने अपने प्रतिद्वंदी को 195 वोटों से शिकस्त दी. शहनाज का पालन पोषण शहर में हुआ जिस वजह से उन्हें गांव का ज्यादा अनुभव नहीं था.

लेकिन जब भी छुट्टियां होती थीं तो शहनाज गांव आती थी. शहनाज ने एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की. लेकिन अब वे एक सरपंच बन गई हैं और अपने गांव की दशा सुधारने में लगी हुई हैं. मेवात क्षेत्र के लोग आज भी पिछड़ी सोच के हैं. यहां लड़कियों को घर से बाहर जाकर पढ़ने की भी इजाजत नहीं है.

शहनाज गांव की शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए काम करना चाहती हैं. वह अपने गांव का हर क्षेत्र में विकास करना चाहती हैं. अपने गांव के लोगों को सड़क, बिजली, पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं का लाभ दिलाना चाहती हैं. बता दें कि शहनाज के दादाजी भी पूर्व में इस गांव के सरपंच रह चुके हैं.

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