आखिर क्यों जगन्नाथ मंदिर में हमेशा लगाया जाता है खिचड़ी का भोग, जानिए इसके पीछे का इतिहास

सनातन धर्म में चार धाम की यात्रा करना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. जो भी वक्त चार धाम यात्रा करते हैं उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति होती है, ऐसी मान्यता है. ओडिशा की पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर को भूमि का स्वर्ग लोक माना जाता है. चार धामों में से जगन्नाथ मंदिर भी एक है. 12 जुलाई से भगवान जगन्नाथ की यात्रा शुरू हो रही है. आपको बता दें कि जगन्नाथ मंदिर में भगवान श्री विष्णु को खिचड़ी का भोग लगाया जाता है. लेकिन इसके पीछे क्या मान्यता है, आज हम आपको बताते हैं.

जगन्नाथ मंदिर में हर रोज खिचड़ी का बाल भोग लगाया जाता है. पौराणिक कथाओं के मुताबिक, भगवान विष्णु की परम भक्त कर्माबाई पुरी में रहती थीं. वह उनसे अपने बेटे की तरह प्यार करती थीं और ठाकुर जी के बाल स्वरूप में उनकी पूजा किया करती थी. एक दिन कर्मा बाई की इच्छा हुई कि वह ईश्वर को फल-मेवे की जगह अपने हाथों से कुछ बनाकर खिलाएं. उन्होंने अपनी इच्छा के बारे में ईश्वर को बताया.

ईश्वर ने उनसे कहा- जो भी बनाया है वह खिला दो, भूख लगी है. कर्मा बाई ने अपने हाथों से बनाई हुई खिचड़ी उन्हें खाने को दे दी. वह खिचड़ी भगवान ने प्रेम से खाई और माता दुलार करते हुए पंखा झलाने लगी, ताकि उनका मुंह ना जल जाए. भगवान ने बताया कि मुझे खिचड़ी बहुत अच्छी लगी. आप हर रोज मेरे लिए खिचड़ी ही पकाया करें. मैं यही खाऊंगा. ऐसा कहा जाता है कि ईश्वर हर रोज बालस्वरूप में खिचड़ी खाने के लिए आया करते थे.

एक दिन उनके यहां मेहमान बनकर साधु आए. उन्होंने देखा कि कर्माबाई बिना स्नान के खिचड़ी बनाकर ठाकुर जी को भोग लगाती हैं. साधु ने कर्माबाई से ऐसा करने से मना कर दिया तथा भोग लगाने के कुछ नियमों के बारे में कहा. तब कर्मा बाई ने नियमानुसार भोग लगाया, लेकिन इस वजह से उन्हें देर हो गई. तब वह मन ही मन यह सोच कर दुखी होती कि मेरा ठाकुर इतने समय तक भूखा रह गया.

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