आजकल हर कोई अपने लिए जिंदगी जीता है. बहुत कम लोग ही ऐसे होते हैं जो दूसरों की मदद में ही अपना जीवन गुजार देते हैं. ऐसे ही एक शख्स है लुधियाना के हरिओम जिंदल, जो लाखों का कारोबार छोड़कर गरीबों की मदद करते हैं. वह सालों से झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले बच्चों को मुफ्त में शिक्षा दे रहे हैं. हरिओम पेशे से वकील है. वह झुग्गियों में जाते हैं और बच्चों की मदद करते हैं.
हरिओम के पिता सुदर्शन जिंदल पेशे से कारोबारी थे. उनके पिता भी अपने बच्चे को बेहतर जिंदगी देना चाहते थे. लेकिन कारोबार में बड़ा नुकसान होने की वजह से वह अचानक से फिरोजपुर आकर बस गए. इस वजह से हरिओम की पढ़ाई लिखाई पर भी असर पड़ा. हरिओम ने गांव से स्कूली शिक्षा प्राप्त की और उन्होंने ग्रेजुएशन के लिए चंडीगढ़ के महाविद्यालय में एडमिशन लिया.
हरिओम का परिवार आर्थिक संकटों से जूझ रहा था. परिवार की मदद करने के लिए उन्होंने नौकरी करना शुरू कर दिया. फिर उन्होंने कुछ समय बाद अंतरराष्ट्रीय शिपिंग का कारोबार शुरू किया. अब सब कुछ पहले जैसा होने लगा था. लेकिन हरिओम को कुछ भी ठीक नहीं लग रहा था. हरि ओम हमेशा यही सोचते थे कि मेरे पास मेरे माता-पिता थे. पढ़ाई के लिए संसाधन थे. लेकिन उन बच्चों का क्या होता होगा, जिनके माता-पिता नहीं हैं. वह कैसे पढ़ते होंगे, जिनके पास कोई साधन नहीं है.
हरिओम ने 44 साल की उम्र में कारोबार छोड़कर वकालत की पढ़ाई शुरू कर दी, ताकि वह बच्चों को पढ़ा सके. अब वह स्कूल चला रहे हैं, जिनमें सैकड़ों बच्चे पढ़ने आते हैं. स्कूलों में वही बच्चे पढ़ते हैं, जो झुग्गियों से कूड़ा बीनते थे. हरिओम बच्चों को कंप्यूटर चलाने की शिक्षा भी देते हैं. उन्होंने कंप्यूटर सेंटर भी खोल रखा है, जहां बच्चों को मुफ्त में कंप्यूटर का ज्ञान दिया जाता है. अब उनके द्वारा पढ़ाए गए बच्चे फटाफट अंग्रेजी बोलते हैं.
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