Jannah Theme License is not validated, Go to the theme options page to validate the license, You need a single license for each domain name.
धर्म संसार

एक ऐसा चमत्कारी फूल जिससे बरसती है अमृत की बूंदे, इसके दर्शन मात्र से पूर्ण हो जाती है सारी मनोकामना

हर धर्म में फूलों का बहुत विशेष महत्व है। हिंदू धर्म की बात करें तो इसमें फूलों से भगवान का श्रृंगार किया जाता है, लेकिन बहुत से लोगों को यह नहीं पता कि आखिर भगवान को फूल चढ़ाना इतना जरूरी क्यों होता है तो बता दे कि हिंदू धर्म भगवान को फूल अर्पित करने से आंतरिक अनुभूति की शांति के साथ साथ सकारात्मक ऊर्जा प्रदान होती है। यही कारण है कि हिंदू धर्म में तमाम देवी देवता को फूल विभिन्न फूल समर्पित किए जाते हैं।

ऐसा ही एक सबसे अनोखा फूल है ब्रह्म कमल। यह एक ऐसा फूल होता है जिसे सबसे पवित्र फूल माना जाता है। ब्रह्म कमल का रंग सफेद होता है यह सुंदर और आकर्षक फूल चंद्रमा की रोशनी में खिलता है। सूर्यास्त के बाद यह खीलना शुरू होता है ब्रह्म कमल के फूल को पूरा खीलने में लगभग 2 से 3 घंटे का समय लगता है, और यह पूरी रात खीला रहता है ब्रह्म कमल के फूल के लिए ऐसा भी माना जाता है कि अगर ब्रह्म कमल के फूल को खीलते हुए देखकर कोई भी मनोकामना मानी जाए तो वह अवश्य पूरी होती है।

आखिर क्यों कहा जाता है इसे ब्रह्म कमल
ब्रह्म कमल को माना जाता है कि इसे स्वयं सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी का पुष्पा माना जाता है। हिमालय की ऊंचाइयों पर मिलने वाला यह पुष्प अपना पौराणिक महत्व भी रखता है ऐसा माना जाता है कि यह फूल इच्छाओं को पूर्ण करता है। ब्रम्ह कमल सफेद रंग का होता है जो दिखने में बहुत ही आकर्षक होता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार जिस कमल पर सृष्टि के रचयिता स्वयं ब्रह्मा विराजमान है वहीं ब्रह्मकमल है इसी में से सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी की उत्पत्ति हुई थी। ऐसा माना जाता है कि धरती पर ब्रह्मा कमल एक ऐसा फूल है जिस की पंखुड़ियों से अमृत की बूंद टपकती है यह फूल ज्यादातर उत्तराखंड की वादियों में देखा जाता है।ब्रह्मकमल हर समय नहीं बल्कि जुलाई अगस्त के समय में ही आपको खिलता हुआ नजर आएगा।

ब्रह्मा कमल की पौराणिक कथा
एक कहानी के अनुसार ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु ने जब हिमालय क्षेत्र में आए थे तो उन्होंने भगवान शिव को 1000 ब्रह्मकमल चढ़ाए थे लेकिन इसमें से एक फूल कम था, तब भगवान विष्णु ने पुष्प के रूप में भगवान शिव को अपनी एक आंख समर्पित की थी उस समय से भगवान शिव को कमलेश्वर के नाम से और विष्णु भगवान को कमलनयन के नाम से जाना जाता है।

ब्रह्म कमल को तोड़ने का नियम
ब्रह्म कमल मा नंदा देवी को सबसे प्रिय है इसलिए ब्रह्म पुष्प को नंदा अष्टमी के दिन तोड़ा जाता है। इसके अलावा ब्रह्म कमल को तोड़ने के और भी कई नियम होते हैं जिसका पालन करना बहुत ही आवश्यक होता है इस फूल का जीवनकाल लगभग 5 से 6 महीने होता है इस भूल का उल्लेख भारतीय महाकाव्य महाभारत में भी मिलता है इसकी मादक सुगंध की वजह से द्रोपति उसको को पाने के लिए व्याकुल हो गई थी।

आखिर क्यों टपकती है अमृत की बूंद
हिमालय के मंदिरों में इस चमत्कारी व दिव्य फूल को चढ़ाने की परंपरा है आधी रात को ही फूल के खिलते ही वहां के निवासी इन्हें ले आते हैं और 10 से ₹20 में मंदिर के पास ले जा कर लोगों को बेच देते हैं। इसे सिर्फ पूजा में ही नहीं बल्कि दवाई के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है इस फूल से काली खासी से लेकर कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी को खत्म करने के गुण मौजूद होते हैं। वेद के अनुसार इस की पंखुड़ियों से टपकता हुआ जल अमृत के समान माना जाता है इस फूल के अर्घ को यदि बीमार व्यक्ति को दिया जाए तो इससे उसका बुखार बहुत जल्द ही ठीक हो जाता है यदि किसी के लिवर मे परेशानी है तो उस व्यक्ति को इसका इस्तेमाल अवश्य करना चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker