एग्जाम में पास होने के बाद कैसे निर्धारित होती है IAS-IPS की रैंक, लगता है ये फॉर्मूला

हर अभ्यर्थी का सिविल सेवा परीक्षा में पास होने का सपना होता है. हर साल लाखों अभ्यर्थी परीक्षा देते हैं. लेकिन कुछ ही इस परीक्षा के लिए क्वालीफाई कर पाते हैं और आईएएस-आईपीएस अधिकारी बन जाते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि परीक्षा पास करने के बाद कैसे आईएएस-आईपीएस की रैंक तय होती है. नहीं तो आज जान लीजिए.

यूपीएससी में कुल मिलाकर 24 सर्विसेज होती है जिनमें उम्मीदवारों का चयन होता है. इन्हें दो कैटेगरी में बांटा जाता है. पहली है ऑल इंडिया सर्विसेज, जिसमें आईएएस और आईपीएस आते हैं. इनमें जो लोग चयनित होते हैं, उनको राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों का कैडर दिया जाता है. वही दूसरे नंबर पर सेंट्रल सर्विसेज होती है, जिसमें ग्रुप ए और ग्रुप बी की सर्विसेज आती हैं.

ग्रुप ए सर्विसेज में आईएफएस, इंडियन सिविल अकाउंट सर्विस, इंडियन रेवेन्यू सर्विस, इंडियन रेलवे इंडियन इनफॉरमेशन सर्विस जैसी सर्विसेज आती है. यूपीएससी परीक्षा में शामिल होने वाले अभ्यर्थियों को पहले प्रीलिम्स परीक्षा देनी होती है. इसके बाद दूसरा पेपर सीसैट का होता है जिसमें क्वालीफाई करने के लिए मिनिमम 33 फीसदी अंक चाहिए होते हैं. फिर कटऑफ के अनुसार चयनित उम्मीदवार मेन्स एग्जाम दे सकते हैं.

मेन एग्जाम में पास होने के बाद अभ्यर्थियों को इंटरव्यू देना होता है. इंटरव्यू क्लियर होने के बाद सारे नंबर जोड़कर रिजल्ट तैयार होता है, जिसके आधार पर रैंकिंग निर्धारित होती है. रैंकिंग जिस साल जितनी वैकेंसी निकलती हैं किसी पोस्ट के लिए और अलग-अलग कैटेगरी के लिए, उसी आधार पर यह रैंक तैयार होती हैं.

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