आज भी हमारे समाज में किन्नरों को लोग उपेक्षित दृष्टि से देखते हैं. लेकिन लोग यह भी मानते हैं कि किन्नरों की दुआ से किस्मत चमक जाती है. कोई भी किन्नर का दिल नहीं दुखाना चाहता. फिर भी इनका जीवन संघर्षों से भरा रहता है. लेकिन जोइता मंडल ने कुछ ऐसा कर दिखाया है जिससे उन्होंने समाज के लिए मिसाल कायम की है.
जोइता किन्नर न्यायाधीश के रूप में अपनी पहचान बना चुकी हैं. वह देश की पहली किन्नर न्यायाधीश हैं. लेकिन इस मुकाम तक पहुंचने में उन्हें कड़े संघर्षों का सामना करना पड़ा. एक समय ऐसा था, जब उन्हें अपना गुजारा करने के लिए भीख मांगनी पड़ती थी. लेकिन आज वह पश्चिम बंगाल के इस्लामपुर की लोक अदालत में जज बन गई हैं.
जोइता मंडल बचपन से ही पढ़ाई-लिखाई में तेज थीं. उन्होंने कॉलेज की पढ़ाई के लिए कोलकाता के कॉलेज में एडमिशन लिया. जब वह शहर पढ़ने गईं तो साथी विद्यार्थी उन पर भद्दे कमेंट करते थे. इस वजह से मजबूरी में उन्हें अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी.
होटल में भी उनको लोग कमरा देने से मना कर देते थे. इस वजह से उन्हें बस स्टैंड पर रातें गुजारनी पड़ती थीं. लेकिन उन्होंने यह ठान लिया था कि वह कुछ करके दिखाएंगी. आज वह इस पोजीशन पर पहुंच गई है जहां उन्हें बड़े-बड़े अफसर भी सलाम करते हैं. किन्नर समुदाय के लोगों के लिए जोइता की सफलता की कहानी की प्रेरणा से कम नहीं है.
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