हर विद्यार्थी को परीक्षाओं से डर लगता है. जब भी परीक्षाएं नजदीक आती हैं तो विद्यार्थी कहते हैं कि पता नहीं ये एग्जाम क्यों आते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि परीक्षा पद्धति किसने और कब शुरू की थी. अगर नहीं तो आज जान लीजिए. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इंडियन यूनिवर्सिटी में प्रोफ़ेसर और फ़्रांसीसी दार्शनिक सर हेनरी फिशेल ने 19वीं शताब्दी में एग्जाम की खोज की थी. उन्होंने ही अमेरिका सहित कई देशों में एग्जाम के बारे में लोगों को बताया था.
उनका मानना था कि किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले एक व्यक्ति को हर चीज को अच्छे से जांच परख लेना चाहिए. इसी वजह से उन्होंने छात्रों की गुणवत्ता का पता लगाने के लिए एग्जाम की खोज की. उनका कहना था कि छात्र हर साल पढ़ते हैं और फिर अगले साल दूसरी कक्षा में चले जाते हैं.
लेकिन उनकी गुणवत्ता का पता नहीं चल पाता कि छात्र सही से पढ़ रहे हैं या नहीं. इसी का पता लगाने के लिए उन्होंने परीक्षा प्रणाली की खोज की. ऐसा भी कहा जाता है कि एग्जाम की शुरुआत प्राचीन चीन में एक कांसेप्ट के रूप में हुई थी. 605 ई.पू. सुई राजवंश ने स्थापित किया था, जिसका उद्देश्य विशिष्ट सरकारी पदों के लिए योग्य उम्मीदवार चयनित करना था.
जो लोग इस परीक्षा में सफल होते थे उनको सुई के सम्राट यांग के नेतृत्व में सरकारी अधिकारियों के समूह में शामिल होने का मौका मिलता था. लेकिन 1905 में सुई राजवंश के राजा ने ये पद्धति खत्म कर दी. 1806 में इंग्लैंड ने सिविल सर्विस के लिए परीक्षा लेना शुरू कर दिया और बाद में इसका इस्तेमाल शिक्षा में भी होने लगा.
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