कैसे अखबार बेचने वाला उधार की किताबों से बना IAS ऑफिसर, संघर्ष की कहानी जानकर आप भी हो जाएंगे भावुक

UPSC की परीक्षा पास करने के लिए हर साल लाखों अभ्यर्थी कड़ी मेहनत करते हैं. कई बार ऐसे युवाओं की कहानी सामने आ जाती है जिन्होंने गरीबी और बेहद मुश्किल परिस्थितियों से लड़कर आईएएस बनने का सपना पूरा कर दिखाया. आज हम आपको आईएएस ऑफिसर नीरीश राजपूत की कहानी बता रहे हैं, जिनके संघर्षों के बारे में जानकर आप भी थोड़ा भावुक हो जाएंगे.

नीरीश के पास पढ़ाई तक के लिए पैसे नहीं थे. इसी वजह से वह अखबार बेचते थे. उनके पिता दर्जी थे. नीरीश भी अपने पिता की मदद करते थे. लेकिन वह आईएएस अधिकारी बनना चाहते थे और इसके लिए वे लगातार मेहनत करते रहे. मध्यप्रदेश के भिंड जिले के रहने वाले नीरीश राजपूत अपने तीन भाई-बहनों और माता-पिता के साथ 15 बाई 40 फीट के छोटे से मकान में रहते थे.

बचपन से ही नीरीश की पढ़ाई में बेहद रूचि थी. उन्होंने सरकारी स्कूल से पढ़ाई की. कई बार वह स्कूल की फीस भी नहीं भर पाते थे, जिस वजह से अखबार बांटने का काम करते थे. दसवीं में उन्होंने 72% अंक हासिल किए. इसके बाद वह आगे पढ़ने के लिए ग्वालियर चले गए, जहां उन्होंने सरकारी कॉलेज से बीएससी और एमएससी किया.

पढ़ाई के साथ वह पार्ट टाइम जॉब भी करते थे. उन्होंने यूपीएससी एग्जाम की तैयारी भी शुरू कर दी. उनके एक दोस्त ने उत्तराखंड में नया कोचिंग इंस्टिट्यूट खोला और उन्हें इस इंस्टीट्यूट में पढ़ाने का ऑफर दिया था. साथ ही यह वादा भी किया कि अगर उनका इंस्टिट्यूट अच्छा चलता है तो वह नीरीश को सिविल सर्विसेज की तैयारी के लिए स्टडी मटेरियल उपलब्ध कराएंगे.

2 सालों की मेहनत केबाद जब उनके दोस्त का इंस्टिट्यूट सफल हो गया तो नीरीश को नौकरी से निकाल दिया गया. ऐसे में वह बेहद टूट गए. इसके बाद वह दिल्ली चले गए. इसी दौरान उनकी दोस्ती एक ऐसे युवक से हुई, जो आईएएस की तैयारी कर रहा था. नीरीश भी उसके साथ रहकर पढ़ाई करने लगे. उनकी जॉब छूट गई थी जिस वजह से उनके पास पैसे नहीं थे. वह दोस्त से नोट्स उधार मांगकर पढ़ते थे. हालांकि उनकी मेहनत बेकार नहीं गई और वे सफल हुए. 2013 में यूपीएससी की परीक्षा में उन्होंने 370वीं रैंक हासिल की.

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