गांव की तरक्की के लिए छोड़ दी 1 लाख की नौकरी, अब सरपंच बनकर कर रही है गांव का विकास

राजनीति में लोग आते तो लोगों की सेवा के लिए है. लेकिन बाद में ज्यादातर राजनेता अपनी भलाई का काम करने में जुट जाते हैं. बहुत कम ही नेता ऐसे हैं जो दूसरों की भलाई का काम करते हैं. ऐसी ही कहानी है, राजस्थान की छवि राजावत की. छवि लोगों की भलाई के लिए काम करती हैं. उन्होंने अपने गांव की तरक्की के लिए बड़ी कंपनी की एक लाख रुपये महीने की नौकरी छोड़ दी.

छवि राजस्थान के गांव सोढ़ा की सरपंच हैं. उन्होंने अब गांव की दशा और दिशा दोनों ही बदल दी हैं. सूखाग्रस्त गांव में पानी की अब कोई समस्या नहीं है. यहां 40 से ज्यादा सड़कें बन चुकी है. यह गांव दूसरे गांव के लिए भी रोल मॉडल बन गया है. छवि ने गांव की तरक्की के लिए जो किया है, हर कोई इसके लिए उनकी तारीफ करता है.

2003 में छवि ने पुणे से एमबीए किया जिसके बाद उन्होंने 7 साल तक दिल्ली और जयपुर में कई कंपनियों में नौकरी की. जब उन्होंने नौकरी छोड़ी थी, तब उन्हें एक लाख रुपये महीना वेतन मिलता था. छवि ने बताया कि गांव में सूखा पड़ता था. 2010 में पंचायत चुनाव होने थे और सरपंच की सीट महिलाओं के लिए आरक्षित थी. तब गांव वालों ने उनसे चुनाव लड़ने के लिए कहा.

छवि सरपंच बनने के बाद गांव वालों की तरक्की के लिए काम करना चाहती थी. लेकिन उनके सामने काफी चुनौतियां थी. सरकार ने पैसा देने से भी मना कर दिया. किसी तरह छवि ने 20 लाख रुपए इकट्ठा किए. फिर उन्होंने गांव में एक तालाब खुदवाया. बारिश होने पर तालाब में पानी भर गया, जिससे पानी की समस्या खत्म हो गई. छवि गांव में शिक्षा के स्तर को भी सुधारना चाहती हैं. बता दें कि छवि के दादाजी भी इस गांव के 3 बार सरपंच रह चुके हैं.

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