देश भर में कोयले की भारी कमी हो गई है, जिस वजह से ऊर्जा पर इसका बुरा असर पड़ रहा है. उर्जा की खपत ज्यादा है और उत्पादन कम हो रहा है, जिस वजह से परेशानी बढ़ती जा रही है. बिजली उत्पादन में कोयले की अहम भूमिका रहती है. लेकिन कोयला कम होने की वजह से बिजली उत्पादन की क्षमता पर बुरा असर पड़ रहा है.
अब बहुत कम ही मात्रा में कोयला बचा हुआ है. बिजली संकट केवल भारत में ही नहीं, बल्कि चीन में भी है. चीन भी कोयले की खरीद के लिए तमाम कोशिशें कर रहा है. चीन में भी बिजली का निर्माण कोयले से ही होता है. बता दें कि भारत में भी 70 फ़ीसदी बिजली कोयले से ही बनती है.
एक्सपर्ट्स का तो कहना है कि देश में कोयले की कमी नहीं है. लेकिन इसका खनन नहीं हो पा रहा है. खनन के बाद कोयले की साफ-सफाई की जाती है और फिर इसे केंद्रों तक भेजा जाता है. लेकिन इस समय इन तीनों चीजों को लेकर समस्या है. भारी मात्रा में बारिश होने की वजह से कोयले का प्रबंधन नहीं हो पा रहा. इस वजह से यह समस्या खड़ी हो गई है.
बारिश की वजह से कोयले की ढुलाई नहीं हो पा रही. एक्सपर्ट्स का यह भी कहना है कि जो कोयला खदानों से निकलता है, वह उच्च स्तर का नहीं होता है. इस वजह से हमें दूसरे देशों से कोयला मंगाना पड़ता है. बता दें कि देश भर में 135 थर्मल प्लांट्स हैं, जिनमें से 100 प्लांट्स ऐसे हैं, जहां कोयले का स्टॉक बहुत कम है. जबकि 13 प्लांट्स में 2 सप्ताह का कोयला बचा हुआ है. अगर कोयले का संकट खत्म नहीं होता है तो बिजली का संकट शुरू हो जाएगा.
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