घर चलाने के लिए करता था आरा मिल में मजदूरी, प्लेटफॉर्म पर सोना पड़ता था, लेकिन मेहनत से बन गए IAS अधिकारी

जब भी हम मजदूर शब्द सुनते हैं तो हमारे दिमाग में उस व्यक्ति की छवि आती है, जो अपनी रोजी रोटी के लिए पूरे दिन कड़ी मेहनत करता है. आज हम आपको IAS ऑफिसर एम. शिवागुरू प्रभाकरन के बारे में बता रहे हैं जो तमिलनाडु के रहने वाले हैं. उनके पास ना तो पढ़ाई के लिए पैसे थे, ना ही रहने के लिए जगह. इस वजह से वो प्लेटफार्म पर सोते थे. उनके पिता को शराब की लत थी, जिस वजह से उनके घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी. उन्हें अपनी पढ़ाई का खर्च निकालने के लिए मजदूरी करनी पड़ी. वह कई बार असफल हुए. लेकिन आखिरकार उन्होंने आईएएस अधिकारी बनकर अपना सपना पूरा किया.

बचपन से ही प्रभाकरन को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा. 12वीं के बाद उन्हें पढ़ाई बीच में छोड़ने पड़ी. उन्होंने खेतों में काम किया, आरा मशीन पर लकड़ी काटी. लेकिन अपना सपना नहीं भूले. वह घर की सारी जिम्मेदारियां निभाते रहे और 2008 में उन्होंने अपने छोटे भाई को इंजीनियरिंग की पढ़ाई करवाई. अपनी बहन की शादी भी करवाई. जब सारी जिम्मेदारियां पूरी हो गईं तो उन्होंने अपने सपने को साकार करने के लिए कदम आगे बढ़ाए.

प्रभाकरन आईआईटी में एडमिशन लेना चाहते थे. लेकिन इसके लिए उन्हें कोचिंग लेनी पड़ती. हालांकि उनके पास पैसे नहीं थे, तभी उन्हें सैंट थॉमस माउंट के बारे में पता चला, जहां जरूरतमंद बच्चों को मुफ्त में शिक्षा दी जाती थी. फिर प्रभाकरन चेन्नई सैंट थॉमस माउंट में गए, वहां उन्हें एडमिशन मिल गया. उनके पास रहने के लिए भी जगह नहीं थी. ऐसे में वह रेलवे प्लेटफार्म पर ही रात गुजारते थे.

प्रभाकरन ने काफी मेहनत की. उन्हें आईआईटी में नामांकन मिल गया. उन्होंने बीटेक करने के बाद एमटेक में भी टॉप किया. फिर उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी. लेकिन वह दो बार असफल हो गए. फिर भी वो लगातार मेहनत करते रहे. 2017 के बैच में प्रभाकरन ने 990 परीक्षार्थियों में 101वां स्थान हासिल किया था और वह आईएएस ऑफिसर बन गए.

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