हमारे समाज में अक्सर महिलाओं को कम आंका जाता है. बचपन से ही बेटियों को शादी के लिए पाला जाता है. बहुत से परिवारों में तो बेटियों को पढ़ने का मौका तक नहीं मिलता. आज हम आपको यूपीएससी 2012 में हरियाणा से टॉपर रही आईएएस अफसर वंदना के बारे में बता रहे हैं, जिन्होंने पहली बार में ही सफलता हासिल कर ली.
वंदना के माता-पिता उन्हें ज्यादा पढ़ाना नहीं चाहते थे. उनके चाचा-ताऊ भी उनकी पढ़ाई के खिलाफ थे. लेकिन जब वंदना आईएएस अफसर बनीं तो उनके गांव के सभी लोग हैरान रह गए. वंदना के पिता महिपाल सिंह चौहान के मुताबिक, गांव में स्कूल अच्छा नहीं था. इसलिए अपने बड़े लड़के को मैंने पढ़ने के लिए बाहर भेजा. उसी दिन से वंदना ने भी रट लगा ली कि मुझे कब भेजोगे पढ़ने.
महिपाल ने बताया कि वह अपनी बेटी को ज्यादा नहीं पढ़ाना चाहते थे. लेकिन उनकी बिटिया काबिल थी. इस वजह से वह मजबूर हो गए. एक दिन वंदना ने अपने पिता से गुस्से में कहा- मैं लड़की हूं इसलिए मुझे पढ़ने नहीं भेज रहे. यही बात महिपाल को चुभ गई और उन्होंने अपनी बेटी को पढ़ने के लिए बाहर भेज दिया. महिपाल को इस वजह से उनके परिवार वालों के ताने सुनने पड़ते थे. लेकिन फिर भी उन्होंने अपना फैसला नहीं बदला.
वंदना ने गुरुकुल में 12वीं तक पढ़ाई की. इसके बाद उन्होंने घर पर ही लॉ की पढ़ाई की. वंदना गर्मियों में भी कमरे में बंद रह कर पढ़ाई करती थीं. जब 2012 में यूपीएससी परीक्षा का रिजल्ट आया तो उन्हें खुद यकीन नहीं हुआ था कि वह पहले ही प्रयास में सफल हो गई हैं. कभी जो लोग उन्हें पढ़ाई को लेकर ताने मारते थे, आज वही लोग उनकी तारीफ करते हैं.
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