चार बेटे-बहु है सरकारी नौकरी में, फिर भी खाने को तरस रही है बूढ़ी माँ, दर्द भरी पीड़ा सुन DC की भी आंखे हो गई नम

राजस्थान के भरतपुर जिले के हलेना क्षेत्र के हिसामड़ा गांव से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसे सुनकर आप भी भावुक हो जाएंगे. जिस मां ने अपने दोनों बेटों को लाड प्यार से पालकर बड़ा किया, उन्हें पढ़ाया लिखाया और दोनों की वायु सेना में नौकरी लग गई, उन्हीं बेटों ने शादी के बाद अपनी मां का ख्याल नहीं रखा. महादेवी के दोनों बेटे की पत्नियों की भी सरकारी नौकरी लग गई. लेकिन फिर भी मां को दो वक्त का खाना तक नहीं मिल रहा.

मजबूर मां 30 किलोमीटर पैदल चलकर संभागीय आयुक्त पीसी बेरवाल की जनसुनवाई में पहुंची, जहां अपनी व्यथा सुनाई. महादेवी ने बताया कि वह अपने गांव से पैसा ना होने की वजह से यहां तक 30 किलोमीटर पैदल चलकर पहुंची हैं. उनके दोनों बेटे वायु सेना में नौकरी करते हैं और दोनों की पत्नियां भी सरकारी नौकरी करती हैं.

डेढ़ साल पहले उनके पति की मौत हो गई. हालांकि उनके पति धर्म सिंह ने मरने से पहले अपने दोनों बेटों से लिखित में आश्वासन लिया था कि वह अपनी मां की देखभाल करेंगे और हर महीने उन्हें भरण-पोषण के लिए ₹6000 देंगे. लेकिन पिता की मौत के बाद बेटे और बहू उन्हें भूल गए. आज वह दाने-दाने को मोहताज हैं.

जब बेटे-बहू ने महादेवी को रोटी नहीं दी, तब गांव में रहने वाली उनकी बहन ने उन्हें सहारा दिया. वह अपनी बहन के घर गुजर-बसर कर रही हैं. महादेवी की व्यथा सुनकर संभागीय आयुक्त पीसी बेरवाल ने संबंधित एसडीएम को 15 दिनों में पीड़िता के दोनों बेटों को भरण-पोषण की व्यवस्था कराने के निर्देश दिए हैं.

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