आज के समय में हर किसी को अपनी चिंता है. ना तो भाई-भाई में प्यार है और ना बच्चे अपने मां-बाप का सम्मान करते हैं. लेकिन हरियाणा के मीठापुर से एक ऐसा मामला सामने आया है जिससे यह पता चलता है कि आज भी समाज में इंसानियत कायम है. हरियाणा के मीठापुर के निवासी नरेंद्र सिंह कड़े संघर्ष के बाद भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बन गए. जब नरेंद्र 14 साल के थे, तभी उनके पिता का निधन हो गया था. उस समय उनके बड़े भाई ओंकार सिंह 16 साल के थे.
पिता की मृत्यु के बाद परिवार की सारी जिम्मेदारी नरेंद्र के बड़े भाई ओंकार सिंह के ऊपर आ गई. ओंकार सिंह ने अपने भाई की पढ़ाई के लिए अपनी पढ़ाई छोड़ दी और वह मजदूरी करने लगे. नरेंद्र के भाई टेंपो चलाते थे. 2018 में नरेंद्र ने 81 प्रतिशत अंकों के साथ बीटेक पास किया और वह फिर बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने लगे. साथ ही उन्होंने अंबाला में ग्रामीण डाक सेवक के पद पर भी काम किया. वह इसके साथ ही डिफेंस की तैयारी भी करते रहे.
2018 से 2020 तक उन्होंने 12 बार इंडियन नेवी और इंडियन आर्मी के लिए परीक्षाएं दी. वह उस समय इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स कर रहे थे, तब उन्हें रिटायर्ड कर्नल राजकिशन गुप्ता के बारे में पता चला. उन्होंने राजकिशन गुप्ता से कॉन्टेक्ट करने अपनी परेशानियां बताईं. तब राजकिशन गुप्ता से उन्हें मार्गदर्शन मिला.
उन्होंने 2020 में पीजीटी का इंटरव्यू दिया था जिसमें उन्हें सफलता मिल गई और उनका चयन इंडियन मिलिट्री एकेडमी में हो गया. पिछले साल जुलाई में उनकी ट्रेनिंग भी शुरू हो गई और 12 जून 2021 को उनका लेफ्टिनेंट के पद पर चयन हो गया. नरेंद्र अपनी सफलता का श्रेय अपने भाई को देते हैं, जिन्होंने उन्हें पढ़ाने के लिए अपनी पढ़ाई भी छोड़ दी.
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