छोटे से गांव से निकलकर कैसे आर्मी ऑफिसर बनीं शैलजा डोगरा, समाज के लिए कायम की मिसाल

आज हम आपको देश की उस बेटी के बारे में बता रहे हैं जिसने लेफ्टिनेंट कर्नल बनकर ना केवल अपने माता-पिता का बल्कि पूरे प्रदेश का नाम रोशन किया. यह कहानी है शैलजा डोगरा की जो हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले के बमसन ब्लॉक टौणीदेवी की रहने वाली हैं. शैलजा डोगरा के पिता धर्म सिंह डोगरा भी भारतीय सेना से रिटायर्ड कर्नल है. जबकि उनकी मां एक ग्रहणी है.

शैलजा अपनी चारों बहनों में सबसे बड़ी हैं. उनका कोई भाई नहीं है. इसी वजह से उनके माता-पिता ने अपनी सभी बेटियों को बेटों की तरह पाला है. एमएससी की पढ़ाई करने के बाद शैलजा ने M.Ed की. इसके बाद उन्होंने 17 मार्च 2007 को भारतीय सेना का डायरेक्ट कमिशन परीक्षा पास की और फिर वह मद्रास में ट्रेनिंग के लिए चली गई.

ट्रेनिंग के बाद में उन्हें लेफ्टिनेंट का पद मिल गया. लेफ्टिनेंट बनने के बाद शैलजा भारतीय सेना के एजूकेशन कोर के रूप में श्रीनगर, पुणे, असम, पंजाब में अपनी सेवाएं दे चुकी हैं. 17 नवंबर को उन्हें कपूरथला लेफ्टिनेंट कर्नल के पद पर नियुक्त किया गया. अपनी सफलता का श्रेय वह अपने माता-पिता कभी देती हैं. उनकी कामयाबी में उनके माता-पिता का बहुत योगदान रहा.

उनके पति कर्नल संजय ठाकुर ने भी उन्हें आगे बढ़ने में बहुत मदद की. शैलजा ने सेना में अधिकारी बनकर समाज को यह सिखा दिया कि बेटा और बेटी में फर्क नहीं करना चाहिए. अगर बेटियों की परवरिश भी बेटों की तरह की जाए और उन्हें भी पढ़ाया-लिखाया जाए तो वह भी परिवार का नाम रोशन कर सकती हैं.

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