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जन्म से दिव्यांग बच्चे के लिए आईएएस अधिकारी बनना बहुत बड़ी बात है. यह कहानी है आईएएस सुहास एल वाई की, जिनका बचपन बहुत ही संघर्षों में बीता. जब उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी तो उनके पिता का निधन हो गया, जिसके बाद उन पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा. लेकिन फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और आगे बढ़ते गए.
पिता की मृत्यु होने के बाद सुहास बचपन से ही दिव्यांग थे. उनके पिता जो नौकरी करते थे, वहां कोई स्थाई ठिकाना नहीं था. शुरुआती पढ़ाई तो सुहास ने कन्नड़ भाषा में की. इसके बाद उनका एडमिशन मुश्किल से अंग्रेजी मीडियम स्कूल में हो पाया. हालांकि सुहास के लिए इंग्लिश में पढ़ना बहुत मुश्किल था. फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी.
सुहास के पिता हमेशा उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरणा देते रहे. हालांकि सुहास को अक्सर लोग ताने मारते थे, जिस वजह से कई बार उनका मनोबल टूट जाता था. लेकिन सुहास ने लगातार मेहनत करना जारी रखा. सुहास ने स्कूली पढ़ाई के बाद एनआईटी कॉलेज से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल कर ली जिसके बाद उनकी नौकरी लग गई. लेकिन नौकरी लगने के कुछ समय बाद ही उनके पिता की मृत्यु हो गई. अब सुहास के ऊपर पूरे परिवार की जिम्मेदारी थी.
नौकरी करते हुए सुहास ने यूपीएससी की तैयारी की. वह पार्ट टाइम दिन में नौकरी करते थे और रात को पढ़ाई करते थे. आखिरकार 2007 में उन्होंने किसी तरह से यूपीएससी परीक्षा पास की और उनको आईएएस अधिकारी के रूप में चुन लिया गया. आईएएस अधिकारी बनने के बाद उनकी खेलों में दिलचस्पी बढ़ गई. 2016 में उन्होंने पहली बार पेशेवर बैडमिंटन टूर्नामेंट में भाग लिया था. उन्होंने एशियाई चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता था. हाल ही में सुहास ने टोक्यो पैरालंपिक में सिल्वर मेडल जीता. अब फिर से वह अपने पद पर कार्यरत हो गए हैं और समाज सेवा में जुट गए हैं.
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