छोटे काम से ही बड़ा बना जा सकता है, यह बात तो आप सब जानते ही होंगे. जितनी भी बड़ी कंपनियां हैं, उनकी शुरुआत बेहद छोटे स्तर पर ही हुई थी. ऐसी ही कहानी है हल्दीराम की, जो आज एक बड़ा ब्रांड बन चुका है. 1937 में गंगा विशाल अग्रवाल ने बीकानेर में एक छोटी सी नाश्ते की दुकान खोली थी. उनके दुकान में बिकने वाले स्नैक्स बहुत टेस्टी थे और लोगों को बहुत पसंद आते थे.
उनकी यह दुकान भुजिया वाले के नाम से मशहूर हो गई. लोग उन्हें हल्दीराम के नाम से जानने लगे. पूरे बीकानेर में हल्दीराम भुजिया समेत कई प्रकार की नमकीनों की चर्चा होने लगी. देखते ही देखते यह ब्रांड देश भर में मशहूर हो गया. अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए हल्दीराम ने दिल्ली समेत देश के कई राज्यों में अपने आउटलेट खोले.
धीरे-धीरे हल्दीराम की पहुंच अमेरिका तक हो गई. हल्दीराम का पहला मैन्युफैक्चरिंग प्लांट कोलकाता में खोला गया था, जिसके बाद एक आउटलेट जयपुर में शुरू हुआ और फिर एक आउटलेट दिल्ली में भी खोला गया. हल्दीराम उत्पादों का 2003 में अमेरिका में निर्यात किया जाने लगा.
हालांकि 2015 में अमेरिका ने हल्दीराम के उत्पादों पर रोक लगा दी, जिस वजह से हल्दीराम को झटका तो लगा. लेकिन इससे उनके ब्रांड पर कुछ खास फर्क नहीं पड़ा. जब हल्दीराम की शुरुआत हुई थी, तब शायद किसी ने यह नहीं सोचा होगा कि यह एक दिन दुनिया का मशहूर ब्रांड बन जाएगा.
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