कर्नाटक के मैसूर जिले के रहने वाले सिदप्पा नारियल की खेती से खूब धन कमा रहे हैं. वह बाकी किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत है. अब वह लोगों को रोजगार भी उपलब्ध कराते हैं. एक समय ऐसा था जब उनकी आमदनी बिल्कुल नहीं थी. वह अपने खेतों में रागी, बाजरा, धान की खेती करते थे जिसके लिए बहुत ज्यादा पानी की जरूरत होती थी, जिसमें काफी खर्चा आता था और मुनाफा भी बहुत कम होता था.
लेकिन सिदप्पा ने कुछ अलग करने की ठानी और कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों से संपर्क किया, जिनकी सलाह पर उन्होंने कम पानी में तैयार होने वाली फसलों की खेती करने की सोची. उन्होंने अपने खेतों की मिट्टी की गुणवत्ता और जलवायु के आधार पर नारियल के पेड़ लगाए.
जैसे-जैसे उन्हें मुनाफा होता गया, उन्होंने नारियल के पेड़ों की संख्या बढ़ा दी. उन्होंने अपने खेतों में अलग-अलग किस्मों के पेड़ लगाए. अब उन्हें हर समय नारियल मिलता रहता है, जिसे वह आसपास के शहरों में बेचकर मुनाफा कमाते हैं.
नारियल से जो भी कमाई होती है, वह उसे बैंक में जमा कर देते हैं और फिर मोटी रकम हो जाने पर खेती के लिए और जमीन खरीद लेते हैं. अब उनके घर का खर्चा भी बहुत आसानी से चलता है. शुरुआत में तो उन्हें इस काम में थोड़ी परेशानी हुई थी. लेकिन अपनी लगन और मेहनत के दम पर आज वह अलग मुकाम पर पहुंच गए हैं. दूर-दूर से किसान उनकी खेती के तरीकों को समझने के लिए आते हैं. अब सिदप्पा श्रमिकों को रोजगार भी दे रहे हैं.
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