निजी कंपनी में नौकरी करने वाली की बेटी कठिन परिस्थितियों से लड़कर बनी अपनी गांव की पहली IAS अधिकारी

हाल ही में यूपीएससी परीक्षा 2020 के नतीजे घोषित किए गए. इस बार कुल 761 उम्मीदवार परीक्षा में पास हुए, जिनमें से 545 पुरुष और 216 महिलाएं हैं. ममता यादव ने परीक्षा में 5वीं रैंक हासिल की और उनका बचपन का सपना भी पूरा हो गया. ममता ने पिछले साल भी यूपीएससी परीक्षा पास की थी, जिसमें उन्हें 556वीं रैंक मिली थी और उनकी रेलवे कार्मिक सेवा के लिए ट्रेनिंग भी शुरू हो गई थी.

हालांकि उनका सपना तो कुछ और ही था. इसी वजह से उन्होंने दोबारा से यूपीएससी परीक्षा दी. ममता ने अपनी कमियों में सुधार किया और फिर परीक्षा देने गई. जब परीक्षा का परिणाम आया तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा. ममता की जिंदगी बहुत ही मुश्किलों से भरी रही है. उनके पिता एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते हैं. उनके घर की आर्थिक स्थिति बहुत ज्यादा अच्छी नहीं है.

ममता मूल रूप से बसई गांव की रहने वाली हैं. लेकिन अब उनका परिवार दिल्ली में रहता है. ममता ने 12वीं की पढ़ाई के बाद द हिंदू कॉलेज में एडमिशन ले लिया. बचपन से ही वह पढ़ने में होशियार थीं. उनका परिवार भी उन्हें सिविल सर्विस में भेजना चाहता था.

ममता अपने गांव से आईएएस बनने वाली पहली महिला है. ममता के परिवार वालों को उनकी सफलता पर बहुत गर्व हो रहा है. ममता ने अपनी सफलता का श्रेय अपनी मां और परिवार वालों को ही दिया. उन्होंने कहा कि अगर बचपन से मेरे परिवार वालों ने मेरी शिक्षा पर ध्यान ना दिया होता तो मैं इस मुकाम तक नहीं पहुंच पाती.

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