ये कहानी है बिहार के एक छोटे से गांव पकरी बरमा के रहने वाले निरंजन कुमार की, जिनका बचपन संघर्षों से भरा रहा. लेकिन आज वह भारतीय राजस्व सेवा में एक बड़े अधिकारी हैं. निरंजन कुमार के लिए यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करना बिल्कुल भी आसान नहीं था. उनके पिता एक छोटी सी खैनी की दुकान चलाते थे, जिससे घर का खर्च भी मुश्किल से चलता था.
ऐसे में निरंजन की पढ़ाई-लिखाई के लिए खर्चा करना भी परिवार वालों के लिए बहुत मुश्किल था. हालांकि परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने के बावजूद निरंजन ने अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ी. निरंजन बचपन से पढ़ने में बहुत तेज थे. उनका नवोदय विद्यालय में सिलेक्शन हो गया.
इस वजह से निरंजन की पढ़ाई पर ज्यादा खर्च भी नहीं हुआ. दसवीं के बाद वह पटना चले गए, जहां से उन्होंने इंटर पास की. लेकिन उन्हें जब पैसों की जरूरत पड़ी तो उन्होंने खुद बच्चों को ट्यूशन देना शुरू कर दिया. 12वीं के बाद उनका चयन आईआईटी के लिए हो गया.
इंजीनियरिंग पूरी होने के बाद उन्हें कोल इंडिया में जॉब मिल गई और फिर उनकी शादी हो गई. निरंजन ने फिर यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी. 2016 में उन्होंने यूपीएससी परीक्षा पास की और उनको अधिकारी के रूप में चुन लिया गया. आज भी निरंजन के पिता खैनी की दुकान चलाते हैं, जैसे पहले चलाया करते थे.
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