
2020 में लोगों ने बहुत ही ऐसी चीजें देखी, जिनको शायद वह जिंदगी भर नहीं भूल पाएंगे. बहुत से लोगों ने अपनों को खो दिया. हमारी डिक्शनरी में सोशल डिस्टेंसिंग, लॉकडाउन जैसे शब्द आ गए. कोरोना महामारी का असर दुनियाभर के लाखों करोड़ों लोगों पर पड़ा है. ना जाने कितने लोगों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. ऐसा ही कुछ मुंबई की अस्मा शेख़ के साथ भी हुआ है.
अस्मा शेख़ के पिता जूस की शॉप चलाते थे. लेकिन महामारी के दौरान लगे लॉकडाउन की वजह से उनके पिता के काम पर ताला लग गया जिस वजह से उनका परिवार सड़क पर आ गया. अस्मा ने मुसीबतों का पहाड़ टूटने के बाद भी अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ी. पढ़ाई के प्रति अस्मा की लगन देखकर आप भी हैरान रह जाएंगे.
अस्मा फुटपाथ पर बैठकर दसवीं की परीक्षा की तैयारी करने लगी. उस दौरान स्कूल कॉलेज बंद थे. फिर भी उन्होंने पढ़ाई जारी रखी. अस्मा ने दसवीं की परीक्षा 40% अंकों के साथ पास की. लेकिन फिर भी वह दुनिया भर में सुर्खियों में छा गई. लोगों ने केवल उनकी तारीफ ही नहीं की बल्कि उनके लिए पैसे इकट्ठा कर घर का भी इंतजाम करवाया.
अस्मा शेख़ और उनके परिवार के लिए लोगों ने मुंबई के मोहम्मद अली रोड पर 1 बीएचके घर का इंतजाम किया है, जहां पर 3 साल तक रह सकते हैं. अस्मा शेख़ मुंबई के प्रतिष्ठित केसी कॉलेज में पढ़ रही हैं. अस्मा के लिए मुहिम की शुरुआत स्पेन के जर्मन फर्नांडेज ने की थी. उन्होंने अस्मा की कहानी लोगों तक पहुंचाई और उसकी मदद के लिए 1.2 लाख रुपए जमा कर लिए. इतना ही नहीं मुंबई के एक एनजीओ ने अस्मा शेख़ की पढ़ाई के लिए हर महीने ₹3000 देने की बात भी कही.
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