बचपन में ही सिर से उठ गया था पिता का साया, फिर मामा ने पढ़ा-लिखा कर बनाया ISRO में अंतरिक्ष वैज्ञानिक

अगर हुनर हो तो किसी भी मंजिल को हासिल किया जा सकता है. आज हम आपको 22 वर्षीय अंकित गुप्ता की कहानी बता रहे हैं जिनका चयन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान परिषद में अंतरिक्ष वैज्ञानिक के रूप में हुआ है. जब अंकित 10 साल के थे, तभी उनके पिता का निधन हो गया था, जिसकी वजह से उनके ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा.

लेकिन फिर भी अंकित ने अपने हौसले को टूटने नहीं दिया. अंकित उस समय चौथी कक्षा में पढ़ते थे. अंकित की मां ने भी हिम्मत नहीं हारी. अपने बेटे को पढ़ाने के लिए उन्होंने अंकित को अपने मामा के घर भेज दिया. बारहवीं तक अंकित ने गोरखपुर में पढ़ाई की, जिसके बाद उन्होंने इंजीनियरिंग की.

अंकित का चयन इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी त्रिवेंद्रम में हो गया. अंकित ने 12वीं के बाद एक साल तक जेईई मेंस की तैयारी की, जिसमें वह सफल हो गए. फिर उन्होंने इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी त्रिवेंद्रम में पढ़ाई की. इसी दौरान उनका सिलेक्शन इसरो के वैज्ञानिक के रूप में हुआ.

24 दिसंबर को उन्हें इसरो की तरफ से प्रस्ताव मिला. अंकित तीनों भाइयों में दूसरे नंबर के हैं. अंकित का इसरो में वैज्ञानिक के रूप में चयन हुआ तो उनके परिवार वालों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. अंकित को इस मुकाम तक पहुंचने के लिए कठिन परिस्थितियों को झेलना पड़ा. लेकिन उन्होंने हर मुसीबत को पार किया.

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