भारत का सबसे ऊंचा शिव मंदिर जिसे बनाने में लगा 39 साल, मंदिर में मौजूद पत्थरों से आती है डमरू की आवाज

भारत में कई ऐसे चमत्कारिक मंदिर हैं, जिनके रहस्य का वैज्ञानिक भी पता नहीं लगा पाए हैं. आज हम आपको एशिया के सबसे ऊंचे शिव मंदिर के बारे में बता रहे हैं जो भारत में है, इस मंदिर का एक रहस्य है जिसका अभी तक खुलासा नहीं हुआ है. ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में मौजूद पत्थरों को थपथपाने से डमरू जैसी आवाज आती है. यह मंदिर भारत के हिमाचल प्रदेश राज्य के सोलन जिले में है, जिसे जटोली शिव मंदिर के नाम से जाना जाता है.

इस मंदिर को बनाने में लगभग 39 साल लग गए थे. यह मंदिर सोलन से लगभग 7 किलोमीटर दूर है. ऐसा माना जाता है कि यहां भगवान भोलेनाथ कुछ समय के लिए आकर रुके थे. बाद में एक सिद्ध बाबा स्वामी कृष्णानंद परमहंस ने यहां तपस्या की थी. उनके दिशा-निर्देश और मार्गदर्शन में इस मंदिर का निर्माण शुरू हुआ था.

मंदिर के कोने में स्वामी कृष्णानंद की गुफा भी है. मंदिर के परिसर में दाएं ओर भगवान शिव की प्रतिमा है और इससे 200 मीटर की दूरी पर शिवलिंग है. मंदिर का गुंबद लगभग 111 फीट ऊंचा है. मंदिर का निर्माण कार्य 1974 में प्रारंभ हुआ था. इस मंदिर में हाल ही में 11 फुट लंबा स्वर्ण कलश चढ़ाया गया. इस मंदिर में जल्द ही 17 लाख रुपए की लागत का शिवलिंग स्थापित किया जाएगा और उसकी प्राण-प्रतिष्ठा की जाएगी.

इस मंदिर में भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश भगवान, कार्तिकेय भगवान और हनुमान जी की मूर्तियां हैं. इस मंदिर का निर्माण भक्तों द्वारा दिए गए दान से हुआ है. लोगों का मानना है कि मंदिर में उपस्थित पत्थरों को थमथपाने पर डमरू जैसी आवाजें आती हैं जो भगवान शिव के साक्ष्य को दर्शाता है.

ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में आने वाले भक्तों की मनोकामनाएं भगवान भोलेनाथ पूरी करते हैं. ऐसा कहा जाता है कि जटोली के लोग पानी की समस्या से जूझ रहे थे. तभी स्वामी कृष्णानंद परमहंस ने भगवान शिव की घोर तपस्या की और त्रिशूल के प्रहार से जमीन से पानी निकाला. तब से लेकर अब तक जटोली में पानी की कोई समस्या नहीं है.

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*