रिटायर होने के बाद भारतीय सेना के डॉग्स का क्या होता है, जानकर होगा बहुत दुख

कुत्ते पालना तो ज्यादातर लोगों को पसंद होता है. कुत्ते वफादार होते हैं और इंसानों के साथ आसानी से घुल-मिल जाते हैं. आर्मी में भी कुत्तों को शामिल किया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि जब ये कुत्ते आर्मी में अपनी सेवाएं नहीं दे पाते तो इनके साथ क्या होता है.

बता दें कि कुत्तों को आर्मी में शामिल करने से पहले खास ट्रेनिंग दी जाती है. उन्हें ट्रेनिंग दी जाती है कि वह बम या खतरे को सूंघकर ही भांप सके. आर्मी में लैब्राडॉर, जर्मन शेफर्ड, बेल्जियन शेफर्ड प्रजाति के कुत्तों को शामिल किया जाता है. लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि जब इन कुत्तों को चोट लग जाती है तो उन्हें आर्मी मार देती है.

यह परंपरा अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही है. दरअसल आर्मी को ऐसा इस वजह से करना पड़ता है, क्योंकि इन कुत्तों को आर्मी के सभी ठिकानों का पता होता है. अगर ये कुत्ते किसी गलत आदमी के हाथ लग गए तो यह देश के लिए बहुत बड़ा खतरा साबित हो सकते हैं. जब यह कुत्ते बीमार होते हैं या उन्हें चोट लगती है तो उनका इलाज करवाया जाता है. हालांकि अगर वह ठीक नहीं होते, तब उन्हें मजबूरी में मारना पड़ता है.

आर्मी के कुत्तों का जीवन लगभग 7 वर्ष होता है. इन कुत्तों को किसी को नहीं दिया जाता, क्योंकि ये कुत्ते आतंकवादी गतिविधियों में भी इस्तेमाल किए जा सकते हैं. इतना ही नहीं ये कुत्ते बहुत खतरनाक होते हैं. इन्हें विशेष ट्रेनिंग और सुविधाएं दी जाती हैं. हालांकि भारत सरकार ने 2015 में यह कहा था कि हम कोई ऐसा विकल्प तलाश रहे हैं, जिससे इन कुत्तों को ना मारा जाए और उन्हें एडॉप्ट करने दिया जाए.

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