शराब पीने वाले का बेटा शराबी ही बनेगा, ऐसा लोग कहते हैं. पर महाराष्ट्र के धुले जिले के रहने वाले राजेंद्र भारूड ने इस कहावत के विपरीत की कर दिखाया. जब राजेंद्र अपनी मां की कोख में थे, तब उनके पिता की मृत्यु हो गई थी, जिस वजह से लोगों ने उनकी मां को अबॉर्शन करवाने की सलाह दी थी. लेकिन राजेंद्र की मां ने बेटे को जन्म दिया और उसका पालन पोषण भी किया.
खराब आर्थिक स्थिति की वजह से राजेंद्र की मां को शराब बेचनी पड़ती थी. राजेंद्र का बचपन बहुत मुश्किलों में गुजरा. जब वह रोते थे तो उनकी मां शराब की 2-3 बूंदे उनके मुंह में डाल देती थीं, जिसे पीकर वह सो जाते थे. राजेंद्र जब बड़े हो गए तो वह भी अपनी मां की मदद करने लगे.
जब भी कोई उनके यहां से शराब खरीदने आता तो उन्हें पैसे देकर स्नेक्स आदि मंगवाता था जिसके बदले उन्हें कुछ पैसे मिल जाते. इन पैसों से राजेंद्र पढ़ाई के लिए किताबें खरीदते. राजेंद्र को पढ़ाने में उनकी मां ने भी कोई कमी नहीं छोड़ी. दसवीं में उन्होंने 95% अंक हासिल किए और 12वीं में 90% अंकों से पास हुए. इसके बाद उन्होंने मेडिकल की परीक्षा पास की और उनको सेठ जीएस मेडिकल कॉलेज, मुंबई में एडमिशन मिल गया.
मेडिकल की पढ़ाई खत्म करने के बाद उन्होंने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी. काफी मेहनत के बाद 2012 में उन्होंने यूपीएससी परीक्षा में 527वीं रैंक हासिल की. राजेंद्र बताते हैं कि जब वह पढ़ने की जिद करते थे तो लोग कहते थे कि शराबी का बेटा तो शराबी ही बनेगा. लेकिन राजेंद्र ने अपनी मेहनत से बहुत बड़ा मुकाम हासिल कर लिया है.
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