कहते हैं ना मंजिल उन्हीं को मिलती है, जो उसे पाने के लिए जी-जान लगा देते हैं. ऐसा ही कुछ बालागुरु के. के साथ भी हुआ, जो आज एक आईएएस अधिकारी है. बालागुरु के लिए यूपीएससी जैसी कठिन परीक्षा की तैयारी करना बिल्कुल भी आसान नहीं था. परिवार के पालन-पोषण के लिए उन्हें सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करनी पड़ी.
इस दौरान ही वह यूपीएससी की तैयारी भी करते रहे. बालागुरु के. तमिलनाडु के अरवकुरिची के एक छोटे से गांव थेरापडी के रहने वाले हैं. उनके माता-पिता मजदूरी करते थे. बचपन से ही बालागुरु की जिंदगी संघर्षों से भरी रही. फिर भी उन्होंने पूरी मेहनत से पढ़ाई की.
बचपन से ही उन्होंने जिलाधिकारी बनने का सपना देख लिया था. 10वीं और 12वीं की परीक्षा उन्होंने अच्छे अंको से उत्तीर्ण की. इसके बाद उन्होंने एक अस्पताल में सिक्योरिटी गार्ड के रूप में काम करना शुरू कर दिया, जिसके लिए उन्हें केवल ₹4000 महीना की तनख्वाह मिलती थी.
सारी जिम्मेदारियां उठाते हुए बालागुरु ने यूपीएससी की तैयारी की. लेकिन पहली बार यूपीएससी परीक्षा में वह असफल हो गए. इसके बाद जब उन्होंने दोबारा परीक्षा दी, तब भी उन्हें असफलता ही हाथ लगी. तीन बार तो उन्हें यूपीएससी परीक्षा में सफलता नहीं मिली. फिर जब 2014 में बालागुरु ने चौथी बार यूपीएससी परीक्षा दी तो उन्होंने 265वीं रैंक हासिल की और उनका आईएएस अधिकारी बनने का सपना पूरा हो गया. वह फिलहाल मध्यप्रदेश के पन्ना में मुख्य कार्यपालन अधिकारी के रूप में कार्य कर रहे हैं.
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